संत शंकर नाथ जी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संत शंकर नाथ जी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

पणीयारी हो जा तैयार बेवड़ो खाली आसी गणी पस्तासी panihari hoja taiyar bevado khali aasi gani pachtasi

 

पणीयारी हो जा तैयार 

बेवड़ो खाली आसी

खाली आली ये 

गणी पस्तासी ।टेर।


संत जुगम जागी 

सरिया दे कुमारी है

औरी जागा पेलाद कुवार 

संग रतना जागी ।1।


सीता रम्बा 

ओलिया जी जागी है ।

औरी जागा हरि चन्द राव 

संग तारा जागी ।2।


राधा ये रुकमण 

कुंताजी जागी हैं

औरी जागा जेटल दे जी राव 

संग पंचोली जागी ।3।


मिरा मेगडी 

सुलका दे जी जागी है 

औरी जागा बलीचन्द राव

संग सज्या जागी ।4।


रावल रुपा 

जेसल तोला जागा है

औरी जागा पंचम रा पीर 

संग डाला जागी ।5।


गोपीनाथ माने 

सतगुरु मीलीया है

गुण गावे शंकर नाथ 

कट जावे चोरासी ।6।

हरि ने सीवरलो वारम्बार साधु भाई मारगीयों तो सोरो गणो hari ne sivarlo barmbar sadhu bhai margiyo soro gano

 

हरि ने सीवरलो वारम्बार साधु भाई

मारगीयों तो सोरो गणो ।टेर।


कटासु आयों मानवी 

जाणों कुण से मुकाम

सपना रूपी संसार में वो भाया 

तरणो तो दोरो गणो ।1।


पीछम से आया सुदरी 

जाणो उगम क्षाम 

एक पलक माने राख से 

प्यारी सरणे तो गुराजी तणो ।2। 


संग करलो सायबा

फेरा फर लो सात छोड़ो मती रे

भकमी बार में मारा

 सायबा थारी मने भी घणो ।3।


सुण सुदरी व्याव की 

परणीया चोरासी लाख

 अबके तो थारे संग रमीयाये प्यारी 

अणी सेज को अन्दगणो ।4।


गोपीनाथ गुरु बेटीया 

लगन लिखया परभात

शंकरनाथ माडो जीतया

प्यारी पायो पीयजी गुरु जी तणो ।5।

भक्ति को फल उचार सुणज्यों कोई भुलो मती bhakti ko fal uchar sunjyo koi bhulo mati

 

भक्ति को फल उचार सुणज्यों

कोई भुलो मती ।टेर।


नावे धोवे पाठ वृत करता

जाय हरि के मन्दिर पग धरता

जॉको उच्च कुल अवतार

मुख पर सोवे रूप अती ।1।


धन बाटे तो धन फल पावे

धरा अपरे नाम कमावे 

नरसी ने किया विचार

जाके मायरो भरयो अती ।2।


ज्वालामुखी जपे जत प्राणी

जाय जगन में धरणी माणी

पार्वजन्म जरूर राजा की

पदणी मिले अती ।3।


धावे धूम करे गुरु सेवा

जीवत भोगे मिश्री मेवा

भरीया ही मोक्ष हो जाय

वाकी चोरासी की छुटे गती ।4।


गोपीनाथ मिलया गुरू देवा

शंकर नाथ करे गुरु सेवा

सतगुरु ने सोर पर धार

और आसरो लेवो मती ।5।

घरे पधारो गुरुदेव उतारू हर री आरती ghare padharo gurudev utaru har ri aarti

 

घरे पधारो गुरुदेव

उतारू हर री आरती।टेर।


गुरजी तनड़ा की 

मैं लावु हर के बातिया

मनड़ा रो तेल पुराय

उतारू हरकी आरती ।1।


सुरती नुश्ती की 

मेंलु बातियाँ

प्रेम की जोत जगाय 

उतारू हर की आरती ।2।


गुरु मारा असंग जुगारो 

मैं भटकीयो जी

अबके माने लिदो चरणा ये लगाय

उतारू हरकी आरती ।3।


गुरु मारा नाव 

धर्म ने नरबे जाणीयो

कदी ने भुलु दीना नाथ 

उतारू हर की आरती ।4।


भाया सुणो समयो

 जो धर्म ने धावज्यों

शंकर नाथ भाके सत परवाण 

उतारू हरकी आरती ।5।

पुरण भाग मिल्या अविन्‍यासी अबे मारी खेती नेपे आई puran bhag milya avinashi abe mari kheti nepe aayi

 

पुरण भाग मिल्या अविन्‍यासी

कृषर्ण खुब लीखाई

अबे मारी खेती नेपे आई ।टेर।


पांच बीगा की पाटी सुपी

क्यारीयां पचीस लीखाई

 काम क्रोध, मद, लोभ, अंखारा

प्रगति आकाश की थाई ।1।


ओहग बीज अरीयों धरणी में

तेज तुर्य के माई

 भुक, प्यास, आलस, निद्रा,

मृत्यु परगती, अगनी की थाई ।2।


सोहंग से उपनी आसा 

कली-कली लेराई

छल, बल, हलण, चलण,

बोलण, प्रगती पावन की पाई ।3।


आकार मुकार और ओऊंकारा

ऊरद मात्रा बाई 

हाड,मास,रूम चाम नाडि 

पगती पृथ्वी की परकाई ।4।


फल पाका वाने हरीजन चारवा

नुगरों ने गम नाई

लाल मुत्र रंगत पसीना

वीर्य जल को जोत सुआई ।5।


ज्यासे ऊगा वाई जाय पुगा

अब कुछ धोका नाहीं

शंकर नाथ छाबा भर लाया

खरीदो सन्ता भाई ।6।

लख चोरासी ने शुद्ध कर हेरी न्यारी न्‍यारी धरणी साग गरु मलिया lakh chorasi ne suddh kar heri nyari nyari dharni

 

लख चोरासी ने शुद्ध कर

हेरी न्यारी न्‍यारी

धरणी साद गरु मलिया

गोपी नाथ धणीसा ।टेर।


पार ब्रह्म ने परलो समझयों

विषय की दोड़ करीसा

नो लख जल चर के भाई 

साई करेला गुणीसा ।1।


चेलो होय चरणा नहीं लागो

मांगे हीरा मणीसा

पंछी होकर फीरे भटकता

दस लख जुण भरीसा ।2।


सादमती की सेवा नहीं कीदी

 न कोई कथा सुणी सा

एकादशी भ्रंगा माये

गीसीयाँ पेट फरीसा ।3।


सत नहीं तोल्यो धर्म नहीं कीदी

पाखण्ड पुजा करी सा

बीस लाख सतावरा माये

 काटेला डाल परी सा ।4।


अपणी तलवार ने दल कर राके

पार की हाथ धरी सा

तीन लाख पुशओ के माये

सूनी गाय फीरीसा ।5।


असी लाख में बहुत भरमीया

कठी ने मिलीयों धणीसा

चार लाख चवदस घट 

ऊंगा मानव देवणी सा ।6।


नौ लख जल चर दस लाख पंछी

एकादशी भ्रा धणीसा

बीस सतावर तीस पशु वार

मल चोरासी बणीसा ।7।


सतसंग करले चोगस रखले

अबे माने पारक मलीसा

शंकर नाथ समज कर हेरी

पाया मोज घणीसा ।8।

भक्ति है पारस खान सुणज्‍यो कोई छोडो मती bhakti hai paras khan koi chodo mati

 

भक्ति है पारस खान

सुणज्‍यो कोई छोडो मती ।टेर।


लोहा समान सभी संसारा

पारस है मेरे गुरु दातारा

जागा जाका भाण

पारस से हो गई एक मती ।1।


लोहे का कंचन कर

द्वारा नगर माये हुआ उजारा

वाने सोज्या संत सुर ज्ञान

माने कमी न दिखे पावरती ।2।


संत गुरु सायब सोनी बन आया

पकड हाथ एरण चढवाया

शक्ति ने बनायों हार

शिव के बनाई लड़ा अती ।3।


हाथ में मारे सोवे अंगोठी

नाका नंतरी सोवे मोटी

नेण में सुरमों सार

मुखड़ा री चुपा भुलो मती ।4।


नथड़ी में नग राता पीला

हरा सफेद श्याम है ।

काला श्याम में सुरत सगाय

मारे ओरी नग है अटापटी ।5।


गोपीनाथ माने भलिया खोजी

शंकरनाथ पर हो गई मरजी

दुर्बल पर दया विचार

तुम भवसागर भैवो मती ।6।

चार खान में बहुत दुःख पाया चुबती धारा अणीसा char khan me bahut dukh paya chubti dhar ganisa

 

चार खान में बहुत दुःख पाया

चुबती धारा अणीसा 

गुरु मिलिया

गोपीनाथ धणीसा ।टेर।


पंड खान परमार्थ कारण 

भेजीया श्याम धणी सा

 विषय वासना में भुल गयी है

माय आन खडी सा ।1।


अंडखान की पशु जुण में

सही वीपता घणी सा

जन्म जरणी का दूध नहीं पीया

डरपोक से पालना करीसा ।2।

 

जडखान बनास पती कहिये

वा भी सेल करीसा 

डीमुल काटता वाने 

मुख बना बोले कुणी सा ।3।


उदमुद खान में पाव पसारीया

वा भी संगत करी सा

कदीक जलचर कदीक थलचर

नत नई देह धरी सा ।4।


चारखान चौरासी माये

फीरीया टेम घण्टी सा 

मेराा करीज बार निकालया

गीता की साख भरीसा ।5।


सत संग कर योगस इकले

हाथ में आई मन्टी सा

शंकर नाथ रेवे गरू आग्या

होवेसा कृपा घणी सा ।6।

भक्ति है कालो नाग सुणज्यो कोई पकडो मती bhagti he kalo naag sunjyo koi pakdo mati

 

भक्ति है कालो नाग

सुज्यो कोई पकडो मती ।टेर।


सपल पीयाला वांका वासा 

चवदा लोक करे सब आसा

फण उपर पृथ्वी ने धारा

ज्या उपर इच दी रचना अति ।1।


पन्‍द्रा करोड़ा नाग पकडीया

पाँच करोड जामु जड पडिया

पाँचा ने प्रागियो नाग

पाँचा की हो गई एक मती ।2।


अकीस करोडा नाग पकडीया

सात करोड जामु जड पडीया

साता ने खा गयो नाग

साता की हो गई एक मती ।3।


सताईस करोडा नाग पकडीया

नो करोड जामु जड़ पडीया

नोवा ने खा गयो नाग

नो वाकी हो गई एक मती ।4।


छतीस करोडा नाग पकडीया

बारा करोड जामु जड पडीया

बारा ने खा गयो नाग

बारा की हो गई एक मती ।5।


पांच सात नो बारा मलिया

शंकरनाथ वामे जा भलिया

सतगुरु को आधार 

छोडुतो होवे और गति ।6।

परस्या जो पूर्ण वीया नुगरी क्या जाने संसार parsya jo purn viya nugari kya jane sansar

 

परस्या जो पूर्ण वीया हो जी

नुगरी क्या जाने संसार 

भरम लाजो ज्यारा 

नै ही खुल्या हो जी ।टेर।

 

आज सैया सतगुरु भेटीया है जी

दरस्या नूर अपार

तरबीणी रा रंगमहल में है जी

अनहद हुवी रणुकार ।1।

 

बेठा हो गुरुजी हर की हाटड़ीया हो जी

करू मारा दुःखड़ा री बात

मनमाती माने रोकिया हो जी

आड़ी फिर गयी कुमता नार ।2।

 

मन को पोया गुरु गम ध्यान में हो जी

पोता लागी है बार 

कुमता सुलकणी फेरी फरे हो जी

वाने लीदी ललकार ।3।

 

लेगीया गुरुजी ऊजम महल में

खोल्या बजड कीवाड

दसवे द्वारे सामा जाव्या है जी

जी पद अपरम पार ।4।

 

केदू नीसाणी उण देश री होजी

झिलमि‍ल ज्योति प्रकाश

सैद बरण मारो सायबो होजी

रूपन रेखा लगा ।5।

 

गोपीनाथ गुरु भेटीया हो जी

लेगया माने आलम के दरबार

शंकरनाथ अब देश में

पाया हीरा अपरम्‍पार ।6।

भजन कीया ज्यो नर अवरया तरग्या संत अपार bhajan kiya jo nar avarya targya sant apaar

 

भजन कीया ज्यो नर 

अवरया हो जी

तरग्या संत अपार

दूरमत ने अलगी टालज्यो हो जी ।टेर।

 

आवो सैया मंगल गावा

अपना गुराने मनाये

चरणा की सेवा करा हो जी

अमृत लेवा गठका ।1।

 

आवो अलाई बाई पोगला है जी

आवो सुकमण नार,

सुरता राणी ने संगमे लावुज्यों है जी

मिल कर गावा मंगला चार ।2।

 

बकड़ी सेरया सैया भौगणा हो जी

रिज्यों गुणी होशियार

घार चुकेतो नीचे गीर पड़े हेजी

तोड़ो मती थे तार।3।

 

पांच कोए को सैया भारी चालनों है जी

बैठो मती हिम्मत हार

आगे बिराज्या गुरु आपना है जी

तन मन लेवाला वार ।4

 

गोपी नाथ गुरु भेटीया

शब्द दीया निज धार

शंकरनाथ शरणे आव्या

दूरबल लागा लार ।5।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...