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काशी जी से पंडित आया भजन लिरिक्‍स kashi ji se pandit aaya bhajan




काशी जी से पंडित आया,
चार वेद की बाणी है।
जारी भर तो जल का पीग्‍या,
पाछे जात बखाणी है ।।टेर।।

कबीर कलमे राख थारा दिल में,
छाण पीवो जल पाणी है।
जल की मछलिया जल में ब्‍यावे,
जल में जलवा पूजे है ।।

में पूंछू रे भणिया पंडत,
वे जल तू क्‍यू पीता है ।।1।।

हाड़ जरन्‍ता मांस जरन्‍ता,
जर जर चमड़ा आता है ।
मैं पूंछू रे भणिया पंडत,
वे घीरत क्‍यू खाता ।।2।।

मांस माता का मांस पिता का,
मांस में मांस मिलाता है।
मैं पूंछू रे भणिया पंडत,
गरभ वास क्‍यू आता ।।3।।


चोको देकर करी रसोई,
खूब करी चतराई है।
उड मांखी भाणा पर बैठी,
डूब गई पड़ताई है ।।4।।

कहे ''कमाली'' कबीर सा की लड़की,
रस्‍ता दिया बताई है।
आगो डग रे भणिया पंडत,
बेवड़ा के छोत लगाई है ।।5।। 




जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...