कालन में महाकाल कहाओ,
देवन में महादेव हरे।
माही पूलो माही जाल अन्दाता,
मारा घर को न्यावटो कूणी करे ।।टेर।।
गणो रे लाडलो बेटो गजानन्द,
दुनियां वांने प्रथम पूजे।
लाम्बी पूंछ को राखे उन्दरो,
मारी जटा ने कतरके नुकसान करे।।1।।
कार्तिक जब कैलाश पे आवे,
मोरिया की असवारी करे।
छतर कर न नाचे मोरियो,
जिणसूं मारो नाग डरे।।2।।
मारे सवारी भोला नन्दया की,
हरियो हरियो घास चरे।
घर की लुगाई बैठे नार पे,
जिणसूं मारो नन्दयो डरे।।3।।
ग्यारा मूंडा दोय बाप बेटा के,
बारवो हाथी पेट भरे।
घर को धणी तो बैठे धूणी पर,
काम कोडी को नाय करे।।4।।
मरिया पशु की लावे चामड़ी,
जिणसूं मारो सिणगार करे।
बचू पकड़ अरोडे मरोडे,
नहीं बोलूं तो मार पड़े।।5।।
असल दालीदर नाम हमारो,
छीजण से मारे गांठ पड़े।
बाप को पाणी कोई नहीं पावे,
बेन मारी घर घर में घूमे।।6।।
सुख दु:ख तो आवे और जावे,
धूप छाया वालो खेल करे।
राम भरोसे केहवे ऊंकारो,
गुरू चेतन बेड़ो पार करे।।7।।