सतसंग को नूतो जेलो जी,
महाराज गजानन्द देवा।
महाराज गजानन्द देवा,
मैं करू आपकी सेवा।।टेर।।
पहला जुगांं में प्रहलाद आया,
लारे रतनादे राणी।।1।।
दूजा जुगां में हरिचंद आया,
लारे तारादे राणी।।2।।
तीजा जुगां में जेठल आया,
लारे द्रोपद नारी।।3।।
चौथा जुगां में बलचंद आया,
लारे संजादे नारी।।4।।
दोय कर जोड़े राणी रूपादे बोले,
घर मालजी के नारी।।5।।