थाली भर कर लाई रे खीचड़ो,
ऊपर घी की बाटकी।
जीमो मारा श्याम धणी,
जिमावे बेटी जाट की।।टेर।।
दादो मारो गांव गियो,
न जाणे कद आवेलो।
वांके भरोसे रेवेलो तो,
भूखा ही मर जावेलो।
आज जिमाऊ थाने खीचड़ो,
काले राबड़ी गाट की।।1।।
बार बार मंदर ने जुड़ती,
बार बार पट खोलती।
जीमो क्यू ना मेरे मनमोहन,
करड़ी करड़ी बोलती।
थे जीमो जद मैं भी जीमू,
न मानूं कोइ लाट की।।2।।
परदो करबो भूल गई मैं,
परदो फेर लगायो है।
धाबलिया के ओले बेठकर,
श्याम खीचड़ो खायो है।
भोला सा भगता के,
कद कद आवे आंट की।।3।।
भक्ति हो तो करमा जैसी,
सांवरियो घर आयो है।
सोहन लाल लुहार गावे,
चरणा शीश नवायो है।
सांचा दिल सू करे जो सेवा,
मूरत बोले काठ की।।4।।