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हो अगम नाथ आदेश आप धिन ऐसा जोग जमाया ho agam nath adesh aap dhin aisa jog jamaya



हो अगम नाथ आदेश आप धिन,

ऐसा जोग जमाया।।टेर।।


आदि पुरूष ओदस जुगत कर,

जोग में जगत उपाया।

जात वरण कट जूवा जूवा,

नाम नाम ओलखाया।।1।।


बाबा अपार छन्‍द अवधूत आसत,

सब घट माय समाया।

जन्‍म मरण माडिया जुग में,

वो कोई गया न आया।।2।।


रामत रमे रूप बिन जोगी,

यो जगत भर्म नहीं पाया।

आसण अधर मांड गुरू ऐसा,

धूप न धरिया छाया।।3।।


तीन लोक बिच जाहिर जोगी,

दृष्टि मुष्टि नही आया।

पंथ अनेक एक जोगी यां की,

ज्‍यां खोज्‍या तह पाया।।4।।


सामल थको सूतजी नां‍ही,

इण विध अचरज आया।

दूर न देख विवेक विचारो,

निरखिया सो नखे बताया।।5।।


भेदत भक्‍त भर्म भव भाजत,

बूरू गम से गुरू कूं गाया।

''लिखमा'' लाभे जोग जुगत सूं,

रहता रावल पाया।।6।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...