आवो मारा जगत पति जगदीश,
नाम ना भूलू बस्वाबीस,
प्रभु सब जग के प्रतिपाला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।टेर।।
शीश पे मोर मुकट सोहे,
कुण्डल कानो में मन मोहे।
हाथ में मुरली लकुटी वाला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।1।।
श्याम रंग सूरत है प्यारी,
तिलक और हरिकणी भारी।
नेत्र है शुद्ध नजर वाला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।2।।
जामो जरीदार पहरे,
सुगन्धी अन्तर अंग लहरे।
गले में फूलों की माला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।3।।
छटा मंदिर की है भारी,
बिराजे सज धज गिरधारी।
भक्तों के सहायक नन्द लाला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।4।।
भेद सही सतगरू बतलावे,
गन्धर्व गुण रामो नित गावे।
खोल दो हिरदे का ताला,
जपू नित गोविन्दा गोपाला।।5।।