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मन रे मेला री चादर धोय man re mela ri chadar dhoy bhajan


मन रे मेला री चादर धोय, बिन धोया दुख उपजे, 
हार जनम जावे खोय ॥टेर॥


 सिवरू देवी शारदा, 

हिवड़ा मे अजमल होय ।

 किर्ता ने खिनाई बावड़ी, 

नीर गंगोदक होय ॥1॥


तन मन री मटकी करू, 

करणि‍री कुंडी होय ।

ज्ञान गुष्‍ट घोटा करू,  

सुर्त सिला पर धोय ।।2।।


झीणी चादर प्रेम री, 

मोल अमोलक होय ।

नाने धागे नाम री, 

लीज्‍यो कण कण पोय ।।3।।


रोहि‍डो रंग रंग फूटरो, 

फूल अजब सिर होय।

उबो सूखे उजाड़ में, 

कली न बीने कोय ।।4।।  


बाहर चंदन सांवला,

भरम न जाणे कोय ।

खोदन पर मल नीसरे, 

अवगुण पर गुण होय ।।5।।


भंवर गुफा भंवरी भवे, 

ज्ञान अखाड़े होय ।

गुरू खींवजी लिखमी कहे, 

धोसी बिरला कोई ।।6।। 

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...