भरोसे आपके चाले ओ,
सतगुरू म्हारी
नांव।
सतगुरू म्हारी
नांव बापजी,
धिनगुरू म्हारी
नांव।।टेर।।
नहीं है म्हारे
कुटुम्ब कबीलो,
नहीं म्हारे
परिवार।
आप बिना दूजो
नहीं दीखे,
जग में पालनहार।।1।।
भवसागर ऊण्डो
गणो ने,
तिरूं न उतरूं
पार।
नगे करूं तो
नजर न आवे,
भवसागर की धार।।2।।
सतगुरू रूपी
जहाज बणालो,
इण विध उतरो
पार।
सुरत चाटलो
ज्ञान बांचलो,
खेवट सिरजनहार।।3।।
कहे कबीर सुणो
भाई साधू,
इण विध उतरो
पार।
रामानन्द मिल्या
गुरू पूरा,
बेड़ा कर दिया
पार।।4।।