साधू भाई साधन गुरां से पावे,
बिना गुरू सेण, करे कोइ साधन,
भुगते कष्ट दु:ख पावे।।टेर।।
चाचरी मुद्रा पहले कीजे,
नेणा की मंजन करावे।
नेणा को ताण भृकुटी संगम,
भूचरी मुद्रा सज जावे।।1।।
नाशा आगे दृष्टि ठहरावो,
मुद्रा अगोचर थावे।
दसवे स्थान रसना की अणिया,
खेचरी में प्राण लगावे।।2।।
अखण्ड आसण शक्त आत्मा,
उनमुन ध्यान जामवे।
पांचों मुद्रा साजे जो जोगी,
खेचरी में आनन्द आवे।।3।।
खेचरी मुद्रा साधा की माता,
प्रेम प्याला भर पावे।
गोकल दास साधन मुद्रा की,
रामहंस समझावे।।4।।