मारो लहरियो रंग रंगीलो,
लहरियो लहर लहर लहराय।।टेर।।
राम नाम की मलमल ले लो,
ज्ञान से लो धुलवाय।
सतसंगत का रंग लगाकर,
ओढ़ो मन हरसाय।।1।।
नेम धर्म का कोर कांगरा,
सत का फूल जड़ाय।
दया धर्म का तारा टीकी,
ज्ञान की कोर दराय।।2।।
झूठ कपट का लागे दागा,
पाप से रंग उड़ जाय।
पर निन्दा के खातर लहरियो,
पड्यो पड्यो गळ जाय।।3।।
कहे गोपाल यो लहरियो,
कही पर सिलियो न जाय।
इण लहरिया ने ओढ़ण वालो,
भव सागर तर जाय।।4।।