राम
रस मीठो रे भाई,
जाने
पिया मगन हो जाई।।टेर।।
मैं
मेरा घर जालीया,
लिया
पलीता हाथ।
और
किसी का जालना हो तो,
चलो
हमारे साथ।।1।।
आगे
आगे दू जले,
पीछे
हरिया होय।
बलिहारी
वा देश ने,
जो
जड़ काट्या फल होय।।2।।
घर
बाल्या घर ऊबरे,
घर
राख्या घर जाय।
बलिहारी
वा देश ने,
जो
मड़ो काल ने खाय।।3।।
मीठा
मीठा सब पिवे,
कड़वा
पीवे नर कोय।
कड़वा
वे नर पीवसी,
ज्याके
धड़ पे शीश न होय।।4।।
ध्रुव
पिया प्रहलाद पिया,
धना
भगत रोहिदास।
दास
कबीरा सुरत कर पीदा,
फेर
पीवण की आस।।5।।