लागे जी माने
सब जुग खारा हो
शरणे जाऊ सन्त की
करदे भव पारा हो ।टेर।
कोई हंसता फिरे कोई मस्ता फिरे
बीरल्ये की धारा हो
संत मिले प्रमारती
पावें अमरत धारा हो ।1।
नगटा नुगरा नेम तोड़ा
भादु भारा हो
संत मिले साहेब का बन्दा
करदे न्यादा हो ।2।
भाग अगामी मिलीया सांमी
माने डुबत तारी ओ
नीतर होता खुर खन्जरा
लादे वजन उपरा हो ।3।
छीलरीयाने मच्छी चुगता
देखीया अपारा हो
ऊडता हंस की पाख पकड़
प्रेम हंस पारा हो ।4।
गोपीनाथ
माने पुरा गुरू मिलीया
डुबत तारीया हो
शंकर नाथ
समझ मन मेरा
गढ़ में हुआ उजारा हो ।5।