हां रे ऊमर चाली रे,
राम भजन बिना रहग्यो खाली रे।।टेर।।
विषया माये फरे भटकतो,
माया लागे भाली रे।
पड़ग्यो फन्दा माय प्यारा,
फांसी लागी रे।।1।।
कुकर्मा ने गणो सींचतो,
ज्यू बागा को माली रे।
साधू सन्ता की प्रीत बावला,
कदी न पाली रे।।2।।
धन जोबन में भयो दीवानो,
बातां करतो काली रे।
काम क्रोध मोह लोभ धार के,
बणग्यो जाली रे।।3।।
गर्भवास में गणो दुख पावे,
रहतो गन्दी नाली रे।
सतसंगत को ओसर मुर्खो,
हाथा टाली रे।।4।।
अब तो चेत हेत कर हरसे,
क्यू नकटाई धारी रे।
परमानन्द पाखण्ड ने तज दे,
चूके मत ना ताली रे।।5।।