उडण रखेसर जी के घरे रूखड़ी,
सरियादे परसण जाय।
मन्जारी का बच्या उबार्या,
आई आव के माय।।1।।
रंगीली रूखड़ी आ तो भाव
की रूखड़ी,
आ तो नाव की रूखड़ी।
माने सतगरूजी दी बताई,
ई सायर में रूखड़ी।।टेर।।
सरियादे घरां रूखड़ी,
वठे प्रहलाद परसण जाय।
खंभ फाड़ धणी दरसण दीदा,
आई खंभ के मांय, रंगीली रूखड़ी।।2।।
गरू घासा जी के घरे रूखड़ी,
वठे हरिचन्द परसण जाय।
कंवर रोहिदासा ने नाग बणास्यो,
आई मसाणा मांय, रंगीली रूखड़ी।।3।।
गरू दरवासा जी के घरे रूखड़ी,
उठे पांडव परसण जाय।
केरू पांडवा के भारत रचियो,
आई भारत के मांय, रंगीली रूखड़ी।।4।।
गरू शुक्राजी के घरां रूखड़ी,
वठे बलचंद परसण जाय।
तीन पावंडा पीयाणा धरणी मांगी,
आई पीयाला मांय, रंगीली रूखड़ी।।5।।
गरू रोहिदास घरां रूखड़ी,
वठे मीरा परसण जाय।
जहर का प्याला राणा मोकल्या,
आई पीयाला मांय, रंगीली रूखड़ी।।6।।
भाटी उगम घरां रूखड़ी,
उठे रूपा परसण जाय।
काड खड़ग भड़ माल कोपिया,
आई थाली के मांय, रंगीली रूखड़ी।।7।।
कनसुण बूंटी साचरी,
आई बिलाडा माय।
नंगजी बरामण ओलखी,
ई चरण कमल के मांय रंगीली रूखड़ी।।8।।