नांया की नरमल जात ,
भजन बिन कैसे तरे रघुनाथ।।टेर।।
पत्ता तोड़े बाजा खीले,
जीमे जीमावे जात।
कांसा की बेल्या में वांके,
कई न लागो हाथ।।1।।
भट्टी खोदे भट्टी जूंके,
तपे है सारी रात।
खुरचण की बेल्या में वांके,
कई न लागो हाथ।।2।।
जनमे तो नाई
मरे तो नाई,
खाण्डी हाण्डी साथ।
मरीया लगा का करे कातर्या,
कई न लागो हाथ।।3।।
खान्दे खरपो हाथ में जारो,
चाल्यो सारी रात।
गांव भरत में मांगू नाई बोले,
कई न लागो हाथ।।4।।