जोबन धन पावणला ओ दन चारा,
ज्यारा गरभ करे नर ग्वारा ।।टेर।।
पशु चाम की बणत पनेया,
नौबत बणे रे नंगारा।
नर तेरी चाम काम नहीं आवे,
जल बल होय अंगारा ।।1।।
पांच तत्व का बणिया पिंजरा,
भीतर भरिया भंगारा।
ऊपर रंग सुरंग लगाया,
कारीगर करतारा ।।2।।
बीस भुजा दस मस्तक वांके,
पुत्र गणा परिवारा।
मरद गरद में मिल गये ऐसे,
लंका के सरदारा ।।3।।
यो संसार सपन की माया,
झूठा जग परिवारा।
कहत ''कबीर'' सुणो भाई साधु,
हरिभज उतरो पारा ।।4।।