रे मन भज ले अलख अखंड़ी मेरा साहिब है बहुरंगी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मन भज ले अलख अखंड़ी man bhaj le alakh akhandi mera sahib hai bahurangi



रे मन भज ले अलख अखंड़ी, 

मेरा साहिब है बहुरंगी।।टेर।।


काचो कुम्‍भ घड्यो कारीगर,
 रूप औप दे अंगी।
अवसर मिल्‍यो भजन कर भंवरा,
सुकृत कर ले संगी।।१।।

दर्पण देख हुयो मन राजी,
सुर्त सखिरो मंडी।
गाफिल गेले चाले चोकस,
सुर्त न चाले संगी।।२।।

जुग हटवाड़ो जुगत कर बोरो,
तोल्‍या एकण डांडी।
बिणिया बिजण स्‍याम सुं सखरा,
हाट होया बिच मांडी।।३।।

भव सागर के मांही बैठा,
चेतन पोरे रांंगी।
स्‍वांस स्‍वांस बिच राग सराई,
पांच चोर तज आंगी।।४।।

''लिखमा राम'' रहे सब मांही,
सो साहब सर्वंज्ञी।
शरणे आया सदा सुख पाया,
मेरी काया राखो चंगी।।५।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...