संत ओमप्रकाशजी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संत ओमप्रकाशजी के भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

ब्रह्म ज्ञानियां रो आयो रे धड़ीन्‍दो भेद वादियां री छाती धड़के brahm gyaniya ro aayo re dhadindo bhed vadiya ri chati dhadake

 

ब्रह्म ज्ञानियां रो आयो रे धड़ीन्‍दो,

भेद वादियां री छाती धड़के।

मारा भाया नुगरा की छाती धड़के।

डरपो मती वा, वा डरपो मती,

चेतन घर में ले जास्‍या डरपो मती।।टेर।।

 

बालमिकी वशिष्‍ठ व्‍यास सुखदेवजी।

ब्रह्म ज्ञान की तो बांधी सड़के।।1।।

 

विवेक वैराग्‍य षट सम्‍पति मुमुक्षता।

ज्ञान का साधन बताया भड़के।।2।।

 

श्रवण मनन निदिध्‍यासन तीनों।

तत् त्‍वं शोधन अन्‍तरंग अड़के।।3।।

 

सत चित आनन्द ब्रह्म अखण्डित।

नाम अरू रूप मिटाया हड़के।।4।।

 

अनन्तो ही संत भया है ब्रह्मज्ञानी।

भेदवादियो रे माथे सारा कड़के।।5।।

 

वेद अरू ग्रंथ समृतिया कहे सारी।

गीता अरू रामायण देखो पढ़के।।6।।

 

ओमप्रकाश गुरू मिल्‍या ब्रह्मवेत्ता।

माणक कहे द्वेत तागो तोड़ो तड़के।।7।।

याने कभी न होवे ज्ञान चाहे कितना ही करो बयान yane kabhi na hove gyan chahe kitna hi karo bayan

 

दोहा: भाटा भैंसा चीचड़ा मीन मृग गज काग।

खर घघू बुग चालणी मूस तराजू नाग।।

 

याने कभी न होवे ज्ञान,

चाहे कितना ही करो बयान।।टेर।।

 

भाटा पाणी में नहीं भीगे,

भैंसा खूब डबोवे सींगे।

चीचड़ पय करे नहीं पान।।1।।

 

खुद पीवे नहीं पाणी मीना,

मृगा नाभी सुगंध नहीं लीना।

कुंजर खुद ही करे स्‍नान।।2।।

 

कागा नीर ताल नहीं पीवे,

खर को मिश्री दिया न जीवे।

उल्‍लू ने सूझे नाही भान।।3।।

 

चालणी कण तज राखे भूसा,

सदा ही खाली रहवे मूसा।

बगुला करे मीन को ध्‍यान।।4।।

 

तराजू रहे रीती की रीती,

करता नाग खूब बदनीती।

ओम को इनसे बचा भगवान।।5।।

मनवा सोहं पर धुन धर रे सोहं आप सदा निर्वाणी manva soham par dhun dhar re soham sada nirvani

 

दोहा: सकार प्राण के आवता, हकार जावती बार।

हंस मंत्र हरदम जपे, जीव जीभ बिन सार।।

 

मनवा सोहं पर धुन धर रे।

सोहं आप सदा निर्वाणी,

सांची निश्‍चय कर रे।।टेर।।

 

ब्रह्मा विष्‍णु जपे महादेवा,

जिससे रहत खबर रे।

दस अवतार सोहं को रटिया,

जब पाया वह घर रे।।1।।

 

सभी संतो ने सोहं गाया,

कर कर उनकी खबर रे।

उनको लेय पवन बिच पोया,

वे ही सांचा नर रे।।2।।

 

और नाम उन्‍ही की शाखा,

सोहं जाण जबर रे।

उनके माय आप मिल जावो,

जैसे बून्‍द सरवर रे।।3।।

 

सोहं बिना सार नहीं पावे,

आवागमन न टरे रे।

सोहं अजर अमर अविनाशी,

इनको कर ले थिर रे।।4।।

 

सोहं सतगरू सोहं चेला,

यही धार ले उर रे।

ओमप्रकाश कहे सोहं समझ के,

निडर होय विचरे रे।।5।।

साधू भाई क्‍यो लजावे बाना खाली लोग हंसाना sadhu bhai kyu lajavo bana khali log hasana

 दोहा: बाना धारे संत का, चले दुष्‍ट की चाल।

धोखा देवे जगत को, साहिब खींचे खाल।।

 

साधू भाई क्‍यो लजावे बाना।

बाना तणो भेद नहीं जाणे,

खाली लोग हंसाना।।टेर।।

 

साधू कहावे शर्म नहीं आवे,

सत्‍य कर्म नहीं जाना।

अपनी आप बड़ाई करता,

दूजा को नहीं माना।।1।।

 

भीड़ पड़े नेड़ा नहीं आवे,

देय दूर से काना।

झूठी बात करे नर भोंदू,

निश्‍चय नाही निशाना।।2।।

 

नींच कर्म की नींव लगाकर,

ऊंचा पद की ताना।

सांचा को नर झूठा बतावे,

सही भेद नहीं पाना।।3।।

 

चेला मूंडे लोभ के खातिर,

अपना काम बनाना।

ओमप्रकाश शर्म नहीं आवे,

क्‍यों नहीं रहवे छाना।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...