साधू भाई ले तत्‍व ज्ञान विचारी सांचा सतगरू रमज लखावे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
साधू भाई ले तत्‍व ज्ञान विचारी सांचा सतगरू रमज लखावे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

साधू भाई ले तत्‍व ज्ञान विचारी सांचा सतगरू रमज लखावे sadhu bhai le tatv gyan vichari saancha satguru ramaj lakhave

 

साधू भाई ले तत्‍व ज्ञान विचारी।

सांचा सतगरू रमज लखावे,

दे दृष्‍ठांत अपारी।।टेर।।

 

जगत जंजाल दृश्‍य सब झूठा,

भ्रांति रूप विस्‍तारी।

रज्‍जू में सर्प मिथ्‍या जो भावे,

या विधि जगत असारी।।1।।

 

सीप में रूपा भोडल चमके,

ठूंठ में पुरूष आचारी।

दोष अह्यास संसय कर कर दूरा,

प्रेमय प्रमाण विडारी।।2।।

 

हाटक में बहु भूषण ठाने,

लोहा शस्‍त्र तरवारी।

खाण्‍ड खिलोना देख उपाधि,

कारण कार्य बलिहारी।।3।।

 

मिश्री मिष्‍ठान ज्‍यूं रंग मेहंदी में,

व्‍यापक एक आधारी।

बुद्धि में भेद उपाधि कल्पित,

मूला तूल बन्‍धारी।।4।।

 

कुटस्‍थ अंश साक्षी चेतन,

पूर्ण ब्रह्म सुखारी।

रामप्रकाश अप्रोक्ष निजानन्‍द,

अभय अमाप अपारी।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...