डूंगर ऊपर डुंगरी रे संता,
जिण पर बैठा मोर।
मोर बिचारा क्या करे रे,
संता घर में गुसग्या चोर।।1।।
खजाना लुटिया रे साधू भाई,
दो नैणा रे बीच।।टेर।।
धोबन कपड़ा धोवती रे,
साधू भाई गऊ घाट के माय।
साबुन मछल्या ले गई रे,
साधू भाई धोबण धोवे घाट।।2।।
साद सती थारा भजन करे रे,
संता रंग महल के माय।
सुरत सायब से ना मली रे,
साधू भाई गाफिल गोता खाय।।3।।
रतन कुवो मुख सांकड़ो रे,
साधू भाई लाम्बी लागे डोर।
नकल्या मेहन्दी राचणी रे,
साधू भाई काजल मचग्यो कीच।।4।।
आठ हाथ की काकड़ी रे,
संता नोय हाथ को बीज।
कहे कबीरा धर्मीदास ने रे,
साधू भाई दस दरवाजा माय।।5।।