भजन बिना जीव गणो घबराय।
काल यो अणाचेत को आय।।टेर।।
मनख देह बहुत कठिन पाई,
हरि का भजन करो रे भाई।
मन थू कीदो गर्भ में कोल,
मुख से राम नाम तो बोल।।
राम नाम से तर गया देख भगत प्रहलाद।
काम क्रोध मद लोभ मोह ने परो छोड़ बलवान।
ग्राह से गज को लिया रे छुडाय काल यो…..।।1।।
कमाई सांची करी रे कबीर,
जाट धन्ना की देख तकदीर।
ध्रुव ने मिल्या रे अटल बेवाण,
विभिषण मल्या लंक गढ़ राज।।
करमाबाई को खीचड़ो मूलकदास का टूक।
सबरी के घर बोर आरोग्या साक विदुर घर भूख।
झूपड़ी नामदेव की छाय काल यो ....।।2।।
द्रोपदी के गणो बढ़ायो चीर,
भजन से तरग्या कालू कीर।
गणिका सुवा पढ़त तारी,
अहिल्या शिला भई नारी।।
नरसी जी की हुण्डी सिकारी बणकर साँवल सेठ।
ऐसा जोधा सजन तुम्हारे गया स्वर्ग में ठेट।
करी प्रभु मीरा तणी सहाय काल यो ....।।3।।
भजन से गई भगत तार्या,
काम प्रभु भगता का सार्या।
मन थू मन की मत माने,
नरक में पटकेलो माने।।
मन लोभी मन लालची मन चंचल मन चोर।
मन के मते मत चालज्यो मन पलक पलक में और।
मन यो नरका में जाय काल यो ....।।4।।
कहे मन हेली चुणवास्या,
बींदणी परण घरां लास्या।
कहे मन करस्या हरक उछाव,
हजारो रूपया करो उपाय।।
छल पाखण्डी ब्याज बटा में उणा तिगुणा होय।
अन्तर काणी राखे ताकड़ी, तीन पाव का सेर।
धान से धन दूणो हो जाय काल यो....।।5।।
धर्म में पैसो कियो न फजूल,
गड़ावा गहणो देह में सूल।
गोडा थाक्या भजन करस्या,
गणां दिन हाल नहीं मरस्या।।
माला की फुरसत नहीं घर धंधा के माय।
टाबर छोरा घरां खेलावां मंदिर जावां नांय।
काम की गणी रात दिन लाय, काल यो....।।6।।
अबे तो दम चढ़बा लाग्यो,
दौड़ घर वेदां के भाग्यो।
वेदजी नुसखो बणवायो,
रूपया सौ को खर्च आयो।।
और बता वेदां ने नाड़ी घरज पड्या से देय।
हाय भराय रात दिन करता राम नाम नहीं लेय।
रोग तो दन दूणो छा जाय, काल यो....।।7।।
गाँव का साता पूछबा आय,
करो थे धर्म पुण्य की सहाय।
गॉंव का धर्म धर्म बोल्या,
बीट अब आंख्यां का खोल्या।।
हाल धर्म थे मती करो रे मैं नहीं मरू रे अबार।
जीवतड़ा थे धर्म करो तो दूणो पाप चढ़ जाय।
जीव यो दीनी नाड़ हलाय, काल यो....।।8।।
लुगाई भाई बन्द बेटा,
टूट गई नाड़ीया उतारो हेटा।
जीव यो जुलक जुलक जांके,
पतरणा सीरक न फांके।।
सांस उगासू चालियो धरतीया लियो उतार।
तुलसी चरणामृत कुण लावे आधी रात के माय।
जीव से घर छोड़ीयो नहीं जाय, काल यो....।।9।।
लो आये जम के दूत भारी,
पकड़ मूसल की ठपकारी।
लुगाई बेटा याद आवे,
जीव यो घर में रह जावे।।
आया कुटम्ब परिवार का लेग्या हाथो हाथ।
आछी बुरी सब अठे रह गई पाप पुण्य दोई साथ।
लावणी घासीदास यू गाय, काल यो...।।10।।