एक घट में गरू दोय बतावे,
दरसण न्यारा न्यारा।
न्यारा न्यारा गरू भेद बतावे,
मेरे दिल एतबारा।।टेर।।
कोई कंवल मूल बतावे,
मूल कंवल कहिये न्यारा।
मूल कंवल में बाजा बाजे,
गणपत गाज अपारा।।1।।
कोई कंवल लंग बतावे,
लंग कंवल कहिये न्यारा।
लंग कंवल का रूप देख लो,
हीरा जोत अपारा।।2।।
कोई कंवल नाभी बतावे,
नाभी कंवल कहिये न्यारा।
नाभी कंवल में नेजा फेहरे,
झण्डा पांच ही पीरां रा।।3।।
कोई कंवल हरदा बतावे,
हरदा कंवल कहिये न्यारा।
हरदा कंवल में जरे जरेळी,
आठ पोहर अमृत धारा।।4।।
कोई कंवल कण्ठ बतावे,
कण्ठ कंवल कहिये न्यारा।
कण्ठ कंवल में बाजा बाजे,
झालर ताल नंगारा।।5।।
कोई कंवल तरबीणी बतावे,
तरबीणी कंवल कहिये न्यारा।
तरबीणी कंवल में गंगा जमना,
सुखमण बहवे गोल धारा।।6।।
उरद सुरद का बीच में,
बेगम कंवल बारा।
पारा पे दो दरसे,
समेर सून अपारा।।7।।
का लख नालूं का लख पालूं,
कंवल लाख हजारा।
गुजर गरीबो कनीरामजी बोले,
सतगरू जाणे सारा।।8।।