मेरे पिया मिलन के काज,
आज जोगण बण जाऊली,
जोगण बण जाऊली आज,
बेरागण होऊंगी।।टेर।।
हार सिंगार छोड़कर सारे,
अंग भभूती लगाऊंगी।
सेली सिंगी पहर गले में,
अलख जगाऊंगी।।1।।
काशी मथरा हरिद्वार,
सब तीरथ नहाऊंगी।
जाय हिमाचल करू तपस्या,
तन को सुखाऊंगी।।2।।
ऋषि मुनियों के आश्रम जाकर,
खोज लगाऊंगी।
अन्दर बाहर सब जग ढुंढू,
नहीं अटकाऊंगी।।3।।
निशदिन उनका ध्यान लगाकर,
दरसण पाऊंगी।
ब्रह्मानन्द पिया घर लाकर,
मंगल गाऊंगी।।4।।