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सतगुरू री महिमा आच्‍छी ज्‍यासूं काल क्रोध मिट जासी satguru ri mahima aachi jaasu kaal



सतगुरू री महिमा आच्‍छी,
ज्‍यासूं काल क्रोध मिट जासी।।टेर।।


ओमकार का हुवा विस्‍तारा,

देेेखोरे निज भांयां।

सतगुरूजी माने पूरा मिलिया,

ज्‍योही राह बताया।।1।।


गुरू कू भजे गुरू का चेला,

गुरू शब्‍दो गम लासी।

गुरू को छोड़ पत्‍‍थर को पूजे,

नुगरा नर्क सिधासी।।2।।


ऐडा पिगला साज सुखमणा,

सुखमण राग सुणासी।

खारे समन्‍द में अमृत बेरी,

समज्‍या सो फल पासी।।3।।


अगम निगम री बातां सन्‍ता,

गुरू बिना कोन लखासी।

गुरू के पांवा लाग लिखमा,

कट जावे जम को फांसी।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...