गाडर कण्ठ गलीचा सूना,
बना दूध का थणिया,
संता गावे है गावणिया।।टेर।।
चंदण काट के माला पेरी,
बांदिया पंथ का मणिया।
भगवा पहरे
अलख जगावे,
मांग खावे मांगणिया।।1।।
बांझ पुत्र उधारा लावे,
बांदे जोली तणिया।
घर का धणी की पाग बंदावे,
बांझ पुत्र कद जणिया।।2।।
भणीया की गत भणीया जाणे,
क्या जाणे अणभणिया।
हीरा की पारख जोहरी जाणे,
बाहर खड़ा वो गणीया।।3।।
वेद शास्त्र गीता और,
भजन भाव गणां सुणीया।
रामो राम लखे वणा घर की,
नरभे है समजणीया।।4।।