तत्‍व पायो है तन में बस्‍ती बसूं कि बन में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तत्‍व पायो है तन में बस्‍ती बसूं कि बन में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

तत्‍व पायो है तन में बस्‍ती बसूं कि बन में tatv payo hai tan me basti basu ki ban me



तत्‍व पायो है तन में,

बस्‍ती बसूं कि बन में।।टेर।।


तीर्थ जायने करे तपस्‍या,
उंधा झूले अगन में।
दुनिया देव लजाय पतिजे,
असल न पायो उन में।।1।।

मणकर भूला वेद बिहूणा,
शब्‍द न भेद्या मन में।
शब्‍द भेद्या जो सेजा पाया,
सन्‍मुख साहिब सुनमें।।2।।

सुखमण सगम अगम को खोजे,
दरस्‍या देव गगल में।
अमर गुरू रे अटल अखाड़े,
ब्रह्म विगत कह उनमें।।3।।

निर्गुण नाथ जात बिन जोगी,
रहे उनमनी धुन में।
गाण न खाण गुणा बिन गेवी,
रहता मरे न जग में।।4।।

आत्‍मा तंत सन्‍त जन सीजे,
सामिल रहे सकल में।
कह ''लिखमो'' जिनकी  बलिहारी,
होय रहे मगन लगन में।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...