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पीव पावो ए प्‍यारी हट गई दुर्मत दारी peev pavo a pyari hat gai durmat dari



पीव पावो ए प्‍यारी, 

हट गई दुर्मत दारी।।टेर।।


दुर्मत में दरस्‍यो नहीं दाता,

हेरत हेरत हारी।

मिट गई दुर्मत दरसण पाया,

सुद्ध बुद्ध शील सिणगारी।।1।।


प्रेम पोल बिच प्रीतम पाया,

 मोहि दो सतगुरु सनकारी।

सुखमण सेरो मैं पिव भेली,

तब मोह लग रही ताली।।2।।


तपत बुझी जब तृष्‍णा भागी,

पूरे आस हमारी।

अन्‍तर खोल दिया तय दरसण,

चल चढ़ सिखर अटारी।।3।।


जिन सखिरी चाहत पाया है,

मेरा प्राण आधारी।

लीन होय लपटाय रहुंगी,

तनिक न रहुंगी न्‍यारी।।4।।


सांसा शोक बिजोग न ब्‍यापे,

कटे कल्‍पना सारी।

''लिखमा'' प्रीत पेल की परतक,

करो अलख सूं यारी।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...