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ऐवा कोई साधू भजन भभेक करे ava koi sadhu bhajan bhabhek kare

 

यो मन मारो माया संग लागो,

माया बहुत करे।

मेर  सुमेर दोनो ही मिलिया,

तोई नहीं धीर धरे।।1।।

 

ऐवा कोई साधू भजन भभेक करे।

भजन भभेकी थोड़ा जगत में,

बकता बहुत फरे।।टेर।।

  

हिम्‍मत बिना हाथ नहीं आवे,

न कोई काम सरे।

नाव छोड़ डूडा में बैठे,

अबकोड़ी मौत मरे।।2।।

 

उड़ण पपैयो पिव पिव बोले,

हरि का ध्‍यान धरे।

धरण पडियो जल पीवे नाही,

अदबिचली बून्‍द सरे।।3।।

 

है कोई हरिजन हरि का प्‍यारा,

ऐसी रीत करे।

इला पिंगला छोड़ करके,

सुखमण कलश भरे।।4।।

 

दौलारामजी सतगुरू मिलिया,

मन को जेड़ करे।

छोगजी कहवे प्रताप गुरां को,

मुगती की आश करे।।5।।

मेरा गरू लागे मोही प्‍यारा पल में पार करे भवसागर mera guru lage mohi pyara pal me paar kare bhavsagar

 

मेरा गरू लागे मोही प्‍यारा,

पल में पार करे भवसागर,

है मुझ को इतबारा।।टेर।।

 

आदू धर्म आगली महमा,

सतगरू असंग जुगांरा।

सुर नर देव सभी आरोदे,

अवगत अपरम्‍पारा।।1।।

 

माया मोह का तीन बारणा,

चौथा धर्म द्वारा।

धर्म द्वार मारा सतगरू खोले,

सबकी निमावण हारा।।2।।

 

रेण दिवस का चार समीया,

चालीस बीस से न्‍यारा।

सन्‍ज्‍या मंजानी परा तरकाली,

सोवंग समाधी धारा।।3।।

 

कोइक साधू ओम सिंवरे,

कोइक साई अवतारा।

ओम सोम दोय अक्षर कहिये,

न अक्षर निराकारा।।4।।

 

दौलारामजी मने सतगरू मिलिया,

नाथ जी दिया विचारा।

छोगो लुहार शरण सतगरू की,

जीवत मुक्ति धारा।।5।।

ऐसो मारो देवा मे देव सरे सिवरिया ही आनंद करे aiso maro deva me dev sare



ऐसो मारो देवा मे देव सरे,
सिवरिया ही आनंद करे ॥ टेर ॥


गणपत देव गजानन्‍द सिवरूं,
विघन दूर करे वो।
आदू धर्म की शाखा वेद में,
ज्ञानी ज्ञान करे वो।।1।।


शील स्‍नान ध्‍यान और धुन में,
ऐसो स्‍नान करे वो।
काना कुण्‍डल अंग भभूति,
केसर तिलक करे वो।।2।।


आसण धार अगड़ होय बैठा,
लाम्‍बी सूंड करे वो।
कली केवड़ा मरवा मोगरा,
भंवर गुंजार करे वो।।3।।


लाडू जलेबी मिश्री मेवा,
अग्‍नी पे धूप करे वो।
अग्‍नी मुखार आप को देवा,
भोजन भाव करे वो।।4।।


दस अवतार देव और दानव,
नज मन ध्‍यान धरेे वो।
नारद शारद करे आरती,
रिद्धि सिद्धि चंवर करे वो।।5।।


आप अमर कबहूं नहीं मरता,
न कोई जनम धरे वो।
अलख जूूणी काटो,
जूणी गीताजी साख भरे वो।।6।।


'दोलाराम' सतगुरू मलिया,
चित मन तृप्‍त करे वो।
'शम्‍भूनाथजी' सेण बताई,
'छोगजी
' अर्ज करे वो।।7।।
  

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...