यो मन मारो माया संग लागो,
माया बहुत करे।
मेर सुमेर
दोनो ही मिलिया,
तोई नहीं धीर धरे।।1।।
ऐवा कोई साधू भजन भभेक करे।
भजन भभेकी थोड़ा जगत में,
बकता बहुत फरे।।टेर।।
हिम्मत बिना हाथ नहीं आवे,
न कोई काम सरे।
नाव छोड़ डूडा में बैठे,
अबकोड़ी मौत मरे।।2।।
उड़ण पपैयो पिव पिव बोले,
हरि का ध्यान धरे।
धरण पडियो जल पीवे नाही,
अदबिचली बून्द सरे।।3।।
है कोई हरिजन हरि का प्यारा,
ऐसी रीत करे।
इला पिंगला छोड़ करके,
सुखमण कलश भरे।।4।।
दौलारामजी सतगुरू मिलिया,
मन को जेड़ करे।
छोगजी कहवे प्रताप गुरां को,
मुगती की आश करे।।5।।
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