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तुलसी मगन भयो हरि गुण गाय के tulsi magan bhayo hari gun gay ke bhajan lyrics

तुलसी मगन भयो हरि गुण गाय के ।।टेर।।

 

कोई चढ़े हाथी घोड़ा,

पालकी मंगाया के ।

साधू चाले नंगे पांव,

चींटियां बचाय के ।।1।।

 

कोई ओढ़े शाल दुशाला,

अम्‍बर मंगाय के ।

साधू पहरे भंगवा कपड़ा,

भभूती रमाय के ।।2।।

 

कोई खावे खीर पूड़ी,

हलुवा बनाय के ।

साधू खावे लूखा टुकड़ा,

भोग लगाय के ।।3।।

 

कोइ्र तो निहाल भयो,

माल धन पाय के ।

तुलसी निहाल भयो,

चित राम से लगाय के ।।4।।


राम जी रो नाम म्हाने मीठो घणो लागे रे Ramji ro naam mane mitho gano lage re



।। दोहा । ।
जड़ नाम शरीर है , चेतन जिवडा जाण।
जड़ चेतन के मायने , रोशन अलख जगाय।

मीठो घणो लागे म्हाने ,
प्यारो घणो लागे रे ।
राम जी रो नाम म्हाने ,
मीठो घणो लागे रे॥
बांध घूघरा नाचा म्हें तो ,
राम जी रे आगे रे
राम जी रो नाम म्हाने ,
मीठो घणो लागे रे ॥टेर॥



रामजी रा मुंग चावल ,
रामजी री बाजरी ।
रामजी रे घर रो धन्धो ,
राम जी री हाजरी ।
राम जी री परसादी सूं ,
पाप सारा भागे रे ॥1॥

भाई बन्धु टाबर टोली ,
राम जी रा छोकरा ।
माय र बाप , दादा दादी ,
राम जी रा डोकरा ।
हिलमिल रेवा म्हे तो ,
राम जी रे आगे रे ॥2॥

राम जी रा महल मालिया ,
राम जी रा झूपडा ।
राम जी रे खेत माही ,
राम जी रा रूंखडा ।
शरणागत री चिन्ता सारी ,
राम जी ने लागे रे ॥3॥

राम जी री घर की पूंजी ,
राम जी लगावणीया ।
राम जी रा देणा लेणा
राम जी चुकावणीया ।
राम जी है लारे म्हारे ,
राम जी है आगे रे ॥4॥

राम जी री पेटी ढोलक
राम जी बजावणीया ।
राम जी री लीला गावो,
राम जी री किरती ।
बोले चाले दीखे सोही,
राम जी री मूर्ति ।
तुलसी शरणे रामजी रे,
भाग म्‍हारा जागे रे ॥5

भरत भाई हनुमत से उऋण हम नाही Bharat bhai hanumat se urin hum nahi bhajan lyrics

भरत भाई कपि से उऋण हम नाही ।

भाई हनुमत से उऋण हम नाही ।।टेर।।

 

सौ योजन मर्यादा सिन्‍धु की,

कूदी गयो क्षण मांही ।

लंका जाई सिया सुधि लायो,

गरब नहीं मन मांही ।।1।।

 

शक्ति बाण लग्‍यो लछमण के,

शोर भयो दल मांही ।

धोलागिरी कर पर धर लायो,

भौर होने नहीं पाई ।।2।।

 

अहिरावण की भुजा उखारी,

पेठी गयो मठ मांही ।

जो कहू भैया हनुमत ना होते,

कौलातो जग मांही ।।3।।

 

आज्ञा भंग कबहू नहीं किन्‍ही,

जहं पठयऊं तह जाई ।

तुलसीदास मारूत सुत महिमा,

निज मुख करत बढ़ाई ।।4।।

बेटा श्रवण पाणीड़ो पिलाय बन में बेटा प्‍यास लगी beta shravan panido pilay ban me beta pyas lagi

बेटा श्रवण पाणीड़ो पिलाय,

बन में बेटा प्‍यास लगी।।टेर।।

 

आला नीला बांस कटाया,

कावड़ लई रे बणाय।

मात पिता बेठा कावड़ में,

तीरथ करबा जाय।।1।।

 

कावड़ लेकर सरवण चाल्‍यो,

बिकट बनी के माय।

हरिया पेड़ कदम्‍ब के नीचे,

कावड़ दीनी रे उतार।।2।।

 

ना कुआ ना बावड़ी रे,

ना कोई समन्‍द तलाब।

बिकट बनी में प्‍यास लगी रे,

भली करी भगवान।।3।।

 

हरिया पेड़ कदम्‍ब के ऊपर,

बगला उड़ उड़ जाय।

श्रवण मां से केवण लागो,

अब जल लाऊ मारी माय।।4।।

 

झारी लेकर श्रवण चाल्‍यो,

गयो नदी के तीर।

धोय झकोल जल भरबा लागो,

दशरथ मार्यो तीर।।5।।

 

लागो तीर पड्यो धरती पर,

राम नाम मुख लाय।

दशरथ मन में सोचे रे,

यो कोई भगत सताय।।6।।

 

मरतो मरतो श्रवण बोल्‍यो,

सुण राजा मारी बात।

मात पिता है प्‍यासा मारा,

जल तो दीजे रे पिलाय।।7।।

 

झारी लेकर दशरथ चाल्‍यो,

मात पिता के पास।

धीरे धीरे बोलण लागो,

अब जल पीवो मारी मात।।8।।

 

ना श्रवण की बोली लाला,

ना श्रवण की चाल।

श्रवण मारो पाणी लावे,

थे तो पराया दीखो पूत।।9।।

 

अवधपुरी को राजवी जी,

दशरथ मारो नाम।

लाग्‍यो तीर जोर को मारो,

श्रवण गयो स्‍वर्ग सिधार।।10।।

 

थू हत्‍यारो श्रवण को रे,

माने मत बतलाय।

ज्‍यू श्रवण बिन मैं मरा रे,

थू भी यू ही मर जाय।।11।।

 

मात पिता तो स्‍वर्ग सिधार्या,

कहग्‍या सांची बात।

तुलसीदास भजो भगवाना,

दशरथ ने लागो श्राप।।12।।

लेखो लेवेला राई राई को उठे राज तो कोनी रे पोपा बाई को lekho leve la rai rai ko uthe raj koni popa bai ko

उठे राज तो कोनी रे पोपा बाई को,

लेखो लेवेला राई राई को।।टेर।।

 

भाइ बन्‍ध थारे कुटम्‍ब कबीलो।

उठे जोर कोनी चाले सगा भाई को।।1।।

 

पांच सात मल भेला वेग्‍या।

अबे बैठणो तो छूटेलो हथाई को।।2।।

 

धन रे दौलत थारा माल खजाना।

थे तो पुन्‍न नहीं कीदो एक पाई को।।3।।

 

तुलसीदास भजो भगवाना।

भजन करो रे थे तो सांई को।।4।।


राम थारी नगरी में कई गाटो करमा में लिख्‍योड़ो मिले रे आटो Ram thari nagri me kai gato karma me likhyodo mile re aato

::कुण्‍डली::

कीने मले ज्‍वार बाजरी,

कोई ने मले चणा को आटो।

कोई ने मले भाया हाथी घोड़ा,

कोई जावे भाया पैदल नाटो।

कोई ने मले रे भाया महल मालिया,

कोई ने मले रे भाया छप्‍पर फाटो।

 

::भजन::

करमा में लिख्‍योड़ो मिले रे आटो,

राम थारी नगरी में कई गाटो।।टेर।।

 

कोई ने मिले रे भाया टेरिकोटन कपड़ा।

कोई के कमीज मोरा मूं फाटो।।1।।

 

कोई ने मले रे भाया पेचदार साफो।

कोई के न आवे वो तो डोड आंटो।।2।।

 

कोई ने मले रे भाया सीरो और लापसी।

कोई ने मले रे भाया छाछ खाटो।।3।।

 

कठे तो बरसे रे भाया मूसलधार बरखा।

कठे तो पड़े रे कोनी एक छांटो।।4।।

 

तुलसीदासजी के घरे पधारता।

पग में कई थारे भागो कांटो।।5।।

प्रहलाद कंवर ने राख नणद बाई चरणा की दासी prahalad kanwar ne raakh nanad bai charna ki dasi

प्रहलाद कंवर ने राख नणद बाई,

चरणा की दासी।।टेर।।

 

एक दिन महल में जनम हुआ तो,

बहुत हुवा राजी।

थम्‍म थम्‍म में दीपक जोया,

दान दिया हाथी।।1।।

 

हंसती खेलती गई महल में,

झूठा लाड लडाती।

कहती भावज सुण मारी नणदल,

हटजा तू पाछी।।2।।

 

लाड लडाती मुखड़ो धोती,

हटवाड़ो गाती।

लेय प्रहलाद ने जलबा निकली,

दया नहीं आती।।3।।

 

कहती नणदल सुण मारी भावज,

मुझे दया नहीं आती।

हरणाकुश के दुष्‍ट जनमग्‍यो,

देबा दे फांसी।।4।।

 

कहे प्रहलाद सुणो मारी माता,

तू क्‍यू घबराती।

तुलसीदास आशा रघुबर की,

आपू आप मर जासी।।5।।

प्रभु केवट की नांव चढ़े भजन लिरिक्‍स prabhu kevat ki naav chade bhajan lyrics



कभी कभी भगवान को भी,

भक्‍तों से काम पड़े।

जाना था गंगा पार ,

प्रभु केवट की नांव चढ़े ।।टेर।।


केवट से बोले रघुराई,

गंगा पार उतारो मेरे भाई।

तपसी वेष में तीनों प्राणी,

गंगा तीर खड़े ।।1।।


केवट बोले तुम जादूगर,

शिला से कर दी नारी सुन्‍दर।

मेरे पास नहीं और गुजारा,

कैसे गुजर पड़े ।।2।।


पहले अपने चरण धुलावो,

फिर नौका पर तुम चढ़ जावो।

हाथ जोड़कर केवट बोला,

प्रभु के चरण पड़े ।।3।।


केवट जल का कटोरा भर लाया,

चरण धोय चरणामृत पाया।

सपरिवार पीया चरणामृत,

गंगा पार करे ।।4।।


दशरथ सुत कोशल्‍या नन्‍दन,

सियावर रामचंद्र रघुनन्‍दन।

है प्रभु दीन दयालु दया कर,

''तुलसी'' चरण पड़े ।।5।।

सीताराम न जपो रे तुलसी sitaram ne japo re tulsi



सीताराम ने जपो रे भजो तुलसी ।।टेर।।


सांज पडिया दिन गयो भवन में,

तुलसी सोच भयो रे।

गाय बाछूूूूड़े गवाड़े बडिया,

लेय लकडिया तुलसी सासरे गयो रे।।1।।


भव सागर में नदिया बहत है,

मुरदो जात बह्यो रे।

तुलसी जाण्‍यो नांंव पुरानी,

उन पकड़ तुलसी पार तो भयो रे।।2।।


आस पास महलां के फरगियो,

दरवाजा नहीं पायो।

लाल गोखड़े नाग लटकियो,

उनको पकड़ तुलसी महलां तो गयो रे।।3।।


जैसी प्रीती माे से कीनी,

वैसी राम से नाहीं।

चल्‍यो जाय बैकुण्‍ठ लोक में,

पल्‍लो नहीं पकड़े तुलसी थारो अब कोई रे।।4।।


थू तिरीया मारे धरम की माता,

थे मने ज्ञान दियो रे।

''तुलसीदास'' आशा रघुवर की,

सेजा तुलसी कबू ना गयो रे।।5।। 




   

घर आये लछमण राम भजन लिरिक्‍स ghar aaye laxman ram bhajan lyrics



अयोध्‍या फूूल रही, 

घर आये लछमण राम।।टेर।।


 बागां फूल बगीचा फूल्‍या,

फूली सब बनराय।

नगर अयाेध्‍या सारी फूली,

फूली कोशल्‍या माय।।1।।


सुरे गाय को गोबर मंगावो,

घर आंगण निपवाय।

गज मोतिया का चौक पूरावो,

सोने का कलश बंधाय।।2।।


पेली आय भरतजी से मिलिया,

पछे केकई माय।

नगर अयोध्‍या सारी मिलगी,

मिली कोशल्‍या माय।।3।।


सीताराम सिंहासन बैठा,

लछमण चंवर ढुलाय।

मात कोशल्‍या करे आरती,

 सखिया मंगल गाय।।4।।


मात कोशल्‍या पूछण लागी,

कहो न लंक की बात।

कैसे तो गढ़ लंका तोड़ी,

कैैैसे तोड्या भुजा बीस।।5।।


आट गाट तो लछमण रोक्‍या,

ओगट घाटा राम।

दरवाजा पर अंगद ठाड़ो,

लंका कूदे हनुमान।।6।।


रावण मार राम घर आये,

घर घर बटे बधाई।

''तुलसीदास''आशा रघुवर की,

रामचंंद्र बलिहारी।।7।।




धनुष मारो हो रियो दावेदार भजन लिरिक्‍स dhanush maro ho riyo davedar bhajan lyrics



जानकी रही बिना भरतार,

धनुष मारो हो रियो दावेदार ।।टेर।।


देश देश के राजा आयो,

लम्‍बी भुजा पसार।

जौ भर धनुष डगियो नहीं वासे,

हो रही हाहाकार ।।1।।


राजा जनकजी यूं उठ बोले,

सुणो सभी सिरदार।

क्षत्री वंस में रहा न कोई,

डूब गई मझधार ।।2।।


तब लछमण जी यूं उठ बोले,

सुणो जनक महाराज।

हम बालक रघुवंश मणी के,

बोलत बचन सम्‍हाल।।3।।


रामचंद्रजी ने धनुष तोड़ा,

धनुष रियो गरणाय।

तुलसीदास आशा रघुवर की,

लीनो कण्‍ठ लगाय ।।4।।

पवनसुत अब तक नहीं आया भजन लिरिक्‍स pawan sut ab tak nahi aaya bhajan lyrics



पवनसुत अब तक नहीं आया,
न मालूूम किसने भरमाया ।।टेर।।

हम को तो बनवास दियाजी,
माता की मति भंग।
तुम तो आये प्रेम की खातर,
किया हमारा संग ।
पिताजी ने बहुत समझाया ।।1।।

देख दशा श्री लखन लाल की,
बोले श्री रघुबीर।
उठो भाई मुख से बोलो,
कहां लग्‍यो थारे तीर।
नीर नैणा में भर आया ।।2।।

तुम तो सूते सुखभर निद्रा,
तन की सुद बिसराय।
मेघनाद रावण का लड़का,
जिनसे करी लड़ाई।
राक्षसों का बहुत ही दल छाया ।।3।।

अयोध्‍यापुरी में जाय के रे,
कैसे मुख दिखलाऊ।
लोग कहे तिरीया के खातर,
भाई को दिया मराय।
दास तुलसी ने जस गाया ।।4।।




 

रावण थाने समझावे राणी भजन लिरिक्‍स ravan thane samjave rani bhajan lyrics



रावण थाने समझावे राणी,

सीख नहीं मानी अभिमानी।।टेर।।


पियाजी थे बुरा काम कीना,

डाव पर तिरीया पर दीना।

राज कर आच्‍छो जस लीनो,

धृक है थारो अब जीणो ।।


दोहा: वो कर्ता संसार में कला हंस अवतार।

उनसे तोड्या नहीं सरेगा रे गियो मूढ़ गंवार।।


समझे ना मूरख अज्ञानी ।।1।। 


रीस कर बाेेेेेल्‍यो दुख दाई,

अकल नहीं तिरिया के माही।

बसत ये बन में दो भाई,

पकड़ मंगवा देऊ अब यांंही।


दोहा: मरा न मारा राम नेया मरदा की रीत।

मेरे आगे रामचंद्र वो किस जावे जीत ।।


राड़ एक रघुवर से ठानी ।।2।।


सीख एक मानो पिया मेरी,

अरज करुं चरणां में तेरी ।

मिलो जब ले सीता नारी,

हार जब हो जावे थारी।

 

दोहा: लेय जानकी मात को पड़ो राम के पांय।

जनम जनम के सब ही बंधन कट जावे छिन मांय।।


ऐसो है दाता रघुराई ।।3।।


सीख जब मानू तोरी,

निकट में डूब जाय मोरी।

मिलू जब ले सीता नारी,

हार जब हो जावे मारी ।


दोहा: मेघनाद सा पुत्र हमारे, कुम्‍भकरण बल भाई।

लंका जैसा कोट हमारे, सात समन्‍द नौ खाई।।


असंख्‍या भर रिया जठे पाणी ।।4।।


काल जब आय गयो थांको,

अबे नहीं बचबा को आंको।

होयगा मिलने का सांसा,

अबे नहीं भगने का नाका।


दोहा: लक्ष्‍मण जैैैसा वीर उनके, जती मर्द बलवान।

अंगद जैसा पायक उनके,अगवानी हनुमान।।


और की गिणती नहीं आणी ।।5।।


चढ़े तो इक दल बादल भारा,

राम और लक्ष्‍मण की लारा।

उतरिया सागर तट सारा,

रीछ और बन्‍दर भी लारा।


दोहा: ररो ममो दोय अक्षर लिख के,समन्‍दर बाधी पाज।

मन्‍दोदरी रावण ने कहती अब तो चेत गंवार।।


फौज रघुवर की चढ़ आई ।।6।।


पाप पर ति‍रीया को भारी,

सुणो जी तुम नर और नारी।

रावण हर लायो पर नारी,

जिनकी केसी भई भारी।


दोहा: रावण मार्यो रामजी,दियो विभिषण राज।

''तुलसीदास'' आशा रघुवर की,रामचंद्र प्रतिपाल।।


भगत की भगती पहचाणी ।।7।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...