प्रभु केवट की नांव चढ़े भजन लिरिक्‍स prabhu kevat ki naav chade bhajan lyrics



कभी कभी भगवान को भी,

भक्‍तों से काम पड़े।

जाना था गंगा पार ,

प्रभु केवट की नांव चढ़े ।।टेर।।


केवट से बोले रघुराई,

गंगा पार उतारो मेरे भाई।

तपसी वेष में तीनों प्राणी,

गंगा तीर खड़े ।।1।।


केवट बोले तुम जादूगर,

शिला से कर दी नारी सुन्‍दर।

मेरे पास नहीं और गुजारा,

कैसे गुजर पड़े ।।2।।


पहले अपने चरण धुलावो,

फिर नौका पर तुम चढ़ जावो।

हाथ जोड़कर केवट बोला,

प्रभु के चरण पड़े ।।3।।


केवट जल का कटोरा भर लाया,

चरण धोय चरणामृत पाया।

सपरिवार पीया चरणामृत,

गंगा पार करे ।।4।।


दशरथ सुत कोशल्‍या नन्‍दन,

सियावर रामचंद्र रघुनन्‍दन।

है प्रभु दीन दयालु दया कर,

''तुलसी'' चरण पड़े ।।5।।

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