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सतगरू आपका दर्शन की माने ओल्‍यूड़ी आवे satguru apka darsan ki mane oludi aave

 

दोहा: विरह सतावे सतगरू, किसविध काढू टेम।

दर्श दिखावो आय कर, करो दुर्बल पर हेम।।

 

सतगरू आपका दर्शन की माने,

ओल्‍यूड़ी आवे।

ओल्‍यूड़ी आवे परमगुरू,

याद गणी आवे।।टेर।।

 

दर्शन आडा पाप हजारो,

आकर फंस जावे।

जन्‍म जन्‍म का कर्म कियोड़ा,

बुद्धि भरमावे।।1।।

 

जो मैं सुमिरण करू गुरां का,

मनवो डिग जावे।

आपके दर्शन बिन,

खाली गीत गावे।।2।।

 

शुभ नजरे जब होवे आपकी,

सुमिरण मन भावे।

सत चित आनन्‍द अविनाशी,

घट घट में दर्शावे।।3।।

 

दीपक बाती पावक कहिये,

ज्‍यामें तेल च्‍हावे।

आप बिना मारा दीपक दाता,

कौन चेतावे।।4।।

 

चतुर स्‍वामी अन्‍तरयामी,

सब कुमति ढावे।

ओम आपकी चरण शरण,

पद रज गंग न्‍हावे।।5।।







जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...