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सुण रे मन दादा समता में सार गणो sun re man dada samta me saar gano bhajan lyrics

 

संत बड़े परमारथी ,

शीतल ज्‍या रा अंग।

तपत बुझावे और की,

देवे भगती रंग।। दोहा।।

 

सुण रे मन दादा,

समता में सार गणो।

समता सार थोड़ी ममता मार,

धार लीजिए धरणो।।1।।

 

कोई अणुतो अबको बोले,

पाछो नहीं बकणो।

गलिया खेड़ा भसे गडकड़ा,

लारे नहीं भसणो।।2।।

 

सबर वाला की खबर राम ने,

 दुख सु नहीं डरणो।

बाया को थू भलो छावजे,

जद व्‍हेलो तरणो।।3।।

 

नाडूल्यो बण नाडा माई,

गणो नहीं उबकणो।

हंसा का सागर में भलजे,

राखजे मोटापणो।।4।।

 

समता शस्त्र साध निशाणो,

सदा इने आदरणो।

दुश्मन के थू फूल बिछाजे,

जद व्‍हेलो तरणो।।5।।

 

करड़ाई में कई काडेलो,

नमन राख चलणो।

या तो थू जाणे मनड़ा,

एक दि तो मरणो।।6।।

 

 

जो करणो सो भरणो भाया,

होई जमा धन धरणो।

संता शरणे भैरव पकड़ ले,

दीना नाथ को शरणो।।7।।




पंछीड़ा लाल आछी पढियो रे उल्‍टी पाटी panchida laal achi padiyo re ulti pati

 पंछीड़ा लाल आछी पढियो रे उल्‍टी पाटी।।टेर।।


गंगा न्‍हाय गौमती न्‍हायो,

न्‍हायो तीरथ साठी।

झुठ जाल झपट नहीं छोड़ी,

राखे मन में ऑंटी।।1।।


औरत ने छन्‍याल बतावे,

मारे लेकर लाठी।

कीड़ान्‍दा गंडक ज्‍यूं दौड़े,

दे गलिया में चांटी।।2।।


अइल्‍या भइल्‍या ने नूते नत,

जीमें साथी रोटी।

बुढ़ा मायत बिलखे वां नेे देवे ना,

बली बाटी।।3।।


आछी अकल सीख्‍यो कूका,

भणग्‍यो बारा पाटी।

ऊबो ऊबो मूते ढांडा,

खोल पेन्‍ट की टाटी।।4।।


अरे डोलमा डील बणायो,

खाय खाय ने माटी।

अपणां जीबा खातर थू,

कतरा की गर्दन काटी।।5।।


ओरा ने तो गेलो बतावे,

खुद चाले सेपट पाटी।

केवे ओर करे थू ओरी,

चले चाल थू रांटी।।6।।


करले भैरया मन भोलो,

पण लख चौरासी घाटी।

आगे जमड़ा पाड़सी,

दे मुंडा के डाटी।।7।।




आज ही करले जो करना है कल का aaj hi karle jo karna he kal ka

आज ही करले जो करना है कल का,
कल कल क्‍या करता नहीं भरोसा पल का ।।टेर।।

रावण सोचा सिड्या स्‍वर्ग पहुंचाऊ,
अग्‍नि की जाल मूं धुआं ने बन्‍द कराऊ।
फिर कंचन सोना माय सुगन्‍ध मिलाऊ,
लंका नगरी में ला बैकुण्‍ठ बसाऊ।
करू करू में छोड़ गया वो खल का।।1।।

जग झूठा है जंजाल, सपन ज्‍यूं माया,
या है कांटा की झाड़, जाण उलझाया।
धन जोबन मेहमान, बादल ज्‍यूं छाया,
झट  जाग मुसाफिर, पंथ भूल भटकाया।
अब आथण में भाण,रहिया कुछ चलका।।2।।

पाणी का बरबड़ा ज्‍याण फटक फूट जाये,
बणजारा थारी बाळद कद लुट जाये।
या चलती गाड़ी कदपंचर हो जाये,
ये गया स्‍वांस भीतर आये न आये।
गणती रा रेग्‍या स्‍वांस,मैल धो दिन का।।3।।

पाणी का रेला ज्याण जीवण यो जावे,
क्‍या सोया सुखभर नींद, बींद सर छाये
यो मनखा तन मेहमान फेर नहीं आये,
माटी की पुतली माटी में मिल जाये।
मत भूले भैरया मौत पाप कुछ मल्‍का।।4।।



रामजी रा घर में नाही कणी बात रो घाटो Ramji ra ghar me nahi kani baat ro gato

रामजी रा घर में नाही,

कणी बात रो घाटो।

पण यो कर्मा के अनुसार,

सबा रे कर दीनो बांटो।।टेर।।


कोई भोगे महल मालिया,

कोई ऊंची मेड्या।

कोई भोगे मोटी पोल्‍यांं,

चांदण चौक गवाड्या।

कोई झोपडिया टापरियां,

छायो घास रो टाटो,पण...।।1।।


कोई जीमे माल मलीदा,

कोई खीर खीचड़लो।

कोई भारी मेहनत करता,

खावे घाट छाछड़लो।

कोई भूखो ही भरलावे,

पेट के बांधे पाटो, पण...।।2।।


कोई राजा कोई रंक राव है,

कोई सेठ साहूकारी।

कोई दुख्‍यारो घर घर मांही,

मांगत भीख भिखारी।

यो है पाप पुण्‍य को लेखो,

लागो जीवां रे छांटो, पण...।।3।।


कोई मूर्ख पण्डित है, कोई बेण्‍डो,

कोई सन्‍त सुर ज्ञानी।

कोई राण्‍ड्यो कोई शेर सूरमो,

कोई दाता कोई दानी।

भैरया देख देख मत छीजे,

यो है कर्मा को फांटो,पण...।।4।।

होली खेल ले पंछीड़ा लाल फागण का दन चार holi khel le panchida laal fagan ka dan char

होली खेल ले पंछीड़ा लाल,

फागण का दन चार।।टेर।।


काया नगर ब्रज मण्‍डल का ले,

गोप गोपिका लार रे।

ब्रह्म रूप कानूड़ो राधा,

जाण आत्‍मा नार, होली...।।1।।


गम का गेरया ढोल घुरावे,

चित चांक डपतार रे।

गुरां ग्‍यान की उड़े गुलालां,

अनहद की रणकार, होली...।।2।।


करम कड़ावा माही घोल ले,

सत संगत रंग डार रे।

परा प्रेम की भर पिचकारी,

डोलचियां फटकार, होली...।।3।।


चंद में सूर, सूर में चंदा,

सुरत सुखमणा सार रे।

कुमत होली में बाल,

सुमत मन प्रहलाद ने तार, होली...।।4।।


फागण का ये बाव छूूट्या्,

पाका पान डार रे।

चेत लागवा वाळो भैरया,

जाय जमारो हार,होली...।।5।।

अनहद का यह खेल काइक नर पाता है anahad ka yah khel koik nar pata hai

 

अनहद का यह खेल,

काइक नर पाता है।।टेर।।

 

एक बीट फूल चार लगाया,

पान फूल अति पेड़ न छाया।

पावे बिरला संत,

अगम घर जाता है।।1।।

 

शील सुन्‍दर भरा है वहां पर,

नहावेगा कोई हरिजन जाकर।

करो गरू से प्रीत,

सीख लग पाता है।।2।।

 

अन्‍धा बहरा लूला लंगा,

कोई न कोई करता धन्‍गा।

समझत नहीं गंवार,

मूरख रह जाता है।।3।।

 

रतनपुरी ये समरथ सांई,

निरगुण सार सब दियो बताई।

भजन भेरियो गाय,

अमर पद पाता है।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...