::कुण्डली::
कीने मले ज्वार बाजरी,
कोई ने मले चणा को आटो।
कोई ने मले भाया हाथी घोड़ा,
कोई जावे भाया पैदल नाटो।
कोई ने मले रे भाया महल मालिया,
कोई ने मले रे भाया छप्पर फाटो।
::भजन::
करमा में लिख्योड़ो मिले रे आटो,
राम थारी नगरी में कई गाटो।।टेर।।
कोई ने मिले रे भाया टेरिकोटन
कपड़ा।
कोई के कमीज मोरा मूं फाटो।।1।।
कोई ने मले रे भाया पेचदार साफो।
कोई के न आवे वो तो डोड आंटो।।2।।
कोई ने मले रे भाया सीरो और लापसी।
कोई ने मले रे भाया छाछ खाटो।।3।।
कठे तो बरसे रे भाया मूसलधार बरखा।
कठे तो पड़े रे कोनी एक छांटो।।4।।
तुलसीदासजी के घरे पधारता।
पग में कई थारे भागो कांटो।।5।।