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लिखमा लाख बिणजिया likhama laakh binajiya kodi dhaj kahlaaya



लिखमा लाख बिणजिया,

क्रोड़ी धज कहलाया।

घर माली रे उतरिया,

राम पदार्थ पाया।।1।।


स्‍वांस स्‍वांस में सोधलो,

निगे करो निज नाम।

भजन भूल भोंदू फिरे,

चौरासी रा ठाम।।2।।


भाव भक्ति री बाड़ी बोई,

निपजे फल अनेक।

नर तंचियारा पावसी,

ज्‍यामे मीनन मेख।।3।।


हरिलन सेती रूठना,

संसारी से हेत।

तहं नर कदे न नीपदे,

ज्‍यू कालर का खेत।।4।।  



जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...