जग देखण आंधा मत हालो,
कियोड़ी कमाई एली जावे जावे रे बीरां।।टेर।।
पांच सात भायां मिल मतो उपायाेे,
मतो उपायो भारी रे भीरा।।1।।
दर्पण ले थारी देहड़ी निर्खो,
रूप देख कांई रीझो रे भीरा।।2।।
पकी धड़ीरा तोल मंगावो,
देहड़ी री काण कढ़ावो रे भीरा।।3।।
घर घर सुर्ता फिरे भटकता,
पर यस्तु मत हेरो रे भीरा।।4।।
गुरु खिंवजी ''माली लिखमो'' बोले,
सदेहि अमरापुर जावो रे भीरा।।5।।