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तेरी कुदरत पर वारी वारी teri kudrat par vari vari balihari dhan



तेरी कुदरत पर वारी वारी, बलिहारी,

धन अलख अगम मत थारी।।टेर।।


धरण पसार मांड पंड नव खण्‍ड,

अमर अधर अधारी।

ख्‍याली खेल किया बिच खेले,

सब घट श्‍याम मुरारी।।1।।


पांच तीन मिल सब जुग राता,

अवगत को गत न्‍यारी।

भेलो रह लेवे सन्‍त बिरला,

ओ अचरज एक भारी।।2।।


गुरू तेरा आसण अधर सधर नही डोले,

धूणी तेरो गगन मंजारी।

रमे रूप बिन रहे निरन्‍तर,

हलको कहुं या भारी।।3।।


कहे ''लिखमो'' भवसागर बेड़ी,

तारण तिरण ते तारी।

अगम निगम तेरी गम तूही,

मै बेगम शरण तुम्‍हारी।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...