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गरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे guruji bina kon prem jal pave

 

गरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे,

कूंपा का नीर कोण विधि खूटे,

जामे सीर समन्‍द्राऊ आवे।।टेर।।

 

करमा की जाति दोय प्रकार की,

शुभ और अशुभ कहावे।

अशुभ करम गरू बिन कुण काटे,

कुण शुभ करम ढुंढावे।।1।।

 

थे मारा सतगुरू पुष्‍प समाना,

ज्‍यांरी भंवर वासना पावे।

लिपट्या भंवर मगन व्‍हे मन में,

लिवक छोड़ नहीं जावे।।2।।

 

थे मारा सतगरू भंवर समाना,

कीट पकड़ कर लावे।

दे गुंजार सबद कर श्रवण,

होय भृंग उड़ी जावे।।3।।

 

तिल में तेल अफीम में खुमारी,

यूं ज्ञान गुरां संग आवे।

मेहन्‍दी में लाली काष्‍ठ में अग्नि,

गुरू बिना कौन प्रकटावे।।4।।

 

कल्‍पतरू कामधेनु पारस,

चिन्‍तामणी चारू ही भेंट चढ़ावे।

शीश उतार धरू चरणा में,

तहू महिमा बण नहीं आवे।।5।।

 

शुभ दृष्टि सतगरू की व्‍हे,

तो सारा भ्रम उड़ जावे।

गिरधर साहिब प्रेम का प्‍याला,

गुरू कृपा कर पावे।।6।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...