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ऐसो मारो देवा मे देव सरे सिवरिया ही आनंद करे aiso maro deva me dev sare



ऐसो मारो देवा मे देव सरे,
सिवरिया ही आनंद करे ॥ टेर ॥


गणपत देव गजानन्‍द सिवरूं,
विघन दूर करे वो।
आदू धर्म की शाखा वेद में,
ज्ञानी ज्ञान करे वो।।1।।


शील स्‍नान ध्‍यान और धुन में,
ऐसो स्‍नान करे वो।
काना कुण्‍डल अंग भभूति,
केसर तिलक करे वो।।2।।


आसण धार अगड़ होय बैठा,
लाम्‍बी सूंड करे वो।
कली केवड़ा मरवा मोगरा,
भंवर गुंजार करे वो।।3।।


लाडू जलेबी मिश्री मेवा,
अग्‍नी पे धूप करे वो।
अग्‍नी मुखार आप को देवा,
भोजन भाव करे वो।।4।।


दस अवतार देव और दानव,
नज मन ध्‍यान धरेे वो।
नारद शारद करे आरती,
रिद्धि सिद्धि चंवर करे वो।।5।।


आप अमर कबहूं नहीं मरता,
न कोई जनम धरे वो।
अलख जूूणी काटो,
जूणी गीताजी साख भरे वो।।6।।


'दोलाराम' सतगुरू मलिया,
चित मन तृप्‍त करे वो।
'शम्‍भूनाथजी' सेण बताई,
'छोगजी
' अर्ज करे वो।।7।।
  

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...