डिगमत डोल भूलमत भगवन्‍त सिंवरण सांची है ठाई लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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डिगमत डोल भूलमत भगवन्‍त digmat dol bhul mat bhagwant sivaran saanchi



डिगमत डोल भूलमत भगवन्‍त,

सिंवरण सांची है ठाई।।टेर।।


जाण्‍यो है तो जोवत रहिये,

किसकूं क्‍या कहिये भाई।

जाण्‍या जिनसे दिल खुल मिलिये,

अब सिंवरण की है डाई।।1।।


प्रीत लगी जद परसण हो गया,

दरस्‍या है हरि दिल मांही।

रूप वरण बिन राम निवाज्‍या,

निरख निरख निरभय थांही।।2।।


अंवल कंवल बिच सामल साहिब,

दूध घिरत ज्‍यू जग मांही।

न्‍यारा निखे सो सन्‍त है निरभय,

दूर करे दुरमत दाई।।3।।


सहसनाम सर्वज्ञी सोही,

ब्रह्म बोलत के सब मांही।

''लिखमा'' बाबाेे है बहुरंगी,

ज्‍यूं जाणे हरि जैसा ही।।4।। 

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...