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भव तिरणे को अवसर आयो रे मानव तन पायो रे bhav tirne ko avsar ayo re bhajan lyrics

 

भव तिरणे को अवसर आयो रे ।

बहुत जनम के पूर्व पुण्‍यो से,

मानव तन पायो रे ।।टेर।।

 

ईश्‍वर कृपा संत समागम,

गुरू शरणे आयो रे ।

प्रेम रा पुष्‍प ध्‍यान रो धूप,

चित चंदन चढ़ायो रे ।।1।।

 

शील संतोष अमान अहिंसा,

दम दया उर लायो रे ।

काम क्रोध मद लोभ मोह को,

कण खोज गमायो रे ।।2।।

 

त्‍याग बैराग श्रद्धा चार के,

वक्र भाव हटायो रे ।

बहुत जनम का मैल त्‍यागा,

ज्ञान गंगा में नहायो रे ।।3।।

 

गुरूजी रो ज्ञान पायो नहीं,

जब लग बाहर ध्‍यायो रे ।

सतगुरू शब्‍द सुणाय के,

ज्ञेय ज्ञात बतायो रे ।।4।।

 

नवलनाथ गुरू कृपा करके,

भरम मूल मटायो रे ।

उत्‍तमनाथ सोई स्‍वरूप समझ के,

निज निश्‍चय थायो रे ।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...