इण विध सायब सिंवरो भाया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
इण विध सायब सिंवरो भाया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

इण विध सायब सिंवरो भाया in vidh sayab sivaro bhaya sivar fal paaya


 

इण विध सायब सिंवरो भाया,
सिंवर सिंवर फल पाया।। टेर।।


सांने मन सायब ने सिंवरो,

सोजो सुन्‍दर काया।

त्रिभिणी के रंग महल में,

सतगुरू अमी बताया।।1।।


काया बाड़ी सींचे माली,

बंक नाल रस पाया।

अजब फुल बणिया बाड़ी में,

फल संचियारी पाया।।2।।


पीर पैगम्‍बर देव दाणवा,

सब अखघड़ की माया।

अलख पुरूष तेरा पार न पाया,

गेला अनन्‍त बनाया।।3।।


मेहर हुई जद महरम पाया,

दिल अपणा पचाया।

गुरू के शरणे लखो लिखमा,

गंगा गरीबी नहाया।।411 

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...