निज भज नाम संगी कुण तेरा,
जोहले सब संसार बिराणा।।टेर।।
जाग जाग जपे जगपति राजा,
थारा थिर दीसे थाणा।
आगे पीछे जाय जोहता,
राव रंक कुण राणा।।१।।
मन मजबूत सूं बहु बांधत,
काया काचा कमठाणा।
किसा भरोसा किण दिन बिरिया,
होसी कामानगर छड़ाणा।।२।।
कामण कुटम्ब पिता सुत माता,
सम्पत में भरमाणा।
सम्पत रच साहिब नहीं जाण्या,
जाेहत जन्म ठगाणा।।३।।
ओ संसार हाट को मेलो,
मिल मिल हा मंडाणा।
कर सुकृत सिमरण का सौदा,
टल जावेला ठाणां।।४।।
भजन बिना दिन नीका खोया,
जीव ले जावे जम राणा।
पकड़ लियो पीछे पछतावे,
मिट जावे आवण जाणा।।५।।
''लिखमा'' लारे मार आवे जम री,
लीज्यो सिमरण सबल ठीकाणा।
सिमरया संत अनन्त उधरिया,
संत सत् नाम समाणा।।६।।