जब तेरा सिर पर काल भुवे है।
जल पर हाड़ तरे वो मना भाई,
धीरज क्यू नी धरे रे।।टेर।।
ओ मारो मनड़ो माया संग लागो,
माया देख डरो रे।
इण माया ने कर दे पराई,
जांको कारज सरे रे।।1।।
इण संग का उलटा मारग,
खोटा करम करे रे।
मान गुमान थारो अलगो मेल दे,
कीड़ा रो कुण्ड टले रे।।2।।
इण संग चाले रोगी गणे रे,
भोगी भोग करे रे।
रोगी भोगी लोभी कहिये,
तीनूं डूब मरे रे।।3।।
सत की नाव हाली समन्दरा,
धरती बैठ तरे रे।
धरमी धरमी पार उतरगिया,
पापी डूब मरे रे।।4।।
जाने सतगरू पूरा मलिया,
सत को सार करे रे।
कहवे दौलाजी अभे जात का,
मन को मार तरे रे।।5।।