राम नाम की रटना राखो,
आठ पोहर एक धारा है।
ज्ञानी साधू ज्ञान कर पूंगा,
पाया मोक्ष द्वारा है ।।टेर।।
गम कर ज्यारा करो बिचारा,
गुरगम भेद अपारा है।
अखण्ड शबद की पाया पारखू,
धोकिया गरू द्वारा है ।।1।।
धर असमान पवन नहीं पाणी,
शशि भाण नहीं तारा है।
नकलंग नाथ जात बना जोगी,
ऊला सब अवतारा है ।।2।।
राम नाम का सकल पसारा,
अखे जोगी फिर न्यारा है।
रहता जोगी रजाेेगुण बारे,
जोगी असंग जुगां रे है ।।3।।
सायब सबके सामल बोले,
समज्या ने इतबारा है ।
भूल्यो जीव भेद नहीं जाणे,
भटकत फिरे गंवारा है ।।4।।
पांच सात नौ बारा भेला,
चार चार फेर न्यारा है ।
चोका आगे कहिये ऐको,
करज्यो संत बिचारा है ।।5।।
दौलारामजी सतगरू मिलिया,
नांजी दिया बिचारा है।
कहे ''छोगजी'' सुणो भाई साधा,
एक नाम नज धारा है ।।6।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें