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भोपा थाने भाव कणी विध आवे मन देव तन सेवक बणकर bhopa thane bhaav kani vidh aave man dev tan sevak

 

भोपा थाने भाव कणी विध आवे,

मन देव तन सेवक बणकर।

वृथा मार क्‍यू खावे।।टेर।।

 

पत्‍थर रोप देवता थरपे,

भिन्‍न भिन्‍न नाम धरावे।

यो तो भैरू या है माता,

दुर्जन दोष बतावे।।1।।

 

डाकण भूत बिजासण,

पूर्वज चावण्‍ड जोगण बतावे।

शीतल बादरी पीर पतवारी,

पूज पूज पछतावे।।2।।

 

भादव आवरी जातल भखरी,

काली भद्र मनावे।

धनोप हिंगलाज कमख्‍या देवी,

कोई काम नहीं आवे।।3।।

 

पूजा पाती पुष्‍प मिठाई,

मस्‍तक जाय चढ़ावे।

श्‍वान सामग्री खाकर सिर पर,

लघुशंका कर जावे।।4।।

 

मूर्ख बावला जीव पकड़ कर,

सनमुख कतल करावे।

पुत्र उबारण महिषा अज का,

गला काट घटकावे।।5।।

 

ज्ञान समझ बिन बदला बांधे,

सिर पर भार उठावे।

अन्‍त काल को आवत देखत,

देव दूर भग जावे।।6।।

 

सतगरू शीतल चेतन देव है,

परमात्‍मा दरसावे।

शंकर प्रशानित बैठ नोरता,

सतसंग सरवर नहावे।।7।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...