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महादेव थांका सन्‍त प्‍यारा लागे मारा नाथ mahadev thaka sant pyara lage mara nath bhajan lyrics

 


महादेव थांका सन्‍त प्‍यारा लागे,

मारा नाथ।

महादेव जी ओ महादेव॥टेर॥

 

नाग शिकारी रेवता,

भारी जंगल माय।

तत्‍ता जिनकी भारजा,

पुत्र कण्‍णप कहलाय॥1॥

 

कण्‍णप जब मोटा हिया,

शिकार रमबा जाय।

पर्वत पर महादेव है,

दर्शण की मन माय॥2॥

 

मूरत देख महादेव की,

कण्‍णप हिया हरसाय।

जंगल में क्‍यू एकला,

नार चितरा खाय॥3॥

 

पूजा पाति देख के,

मन में कियो विचार।

भूखा है महादेवजी,

मांस बणाऊ जार॥4॥

 

माथा में फूल गसोलियो,

मुख में भरियो नीर।

हाथ में दोन्‍यो मांस को,

दूजा में है तीर॥5॥

 

पग से फूल उतारिया,

कुल्‍ला से स्‍नान कराय।

फूल चढ़ाय दोन्‍यो धरे,

लेवो ने भोग लगाय॥6॥

 

पेहरा देव रात में,

मांस सुबह ले आय।

जतरे पण्‍डत आवसी,

पान फूल चढ़वाय॥7॥

 

हाड़ मांस वहां देख के,

पण्‍डत गणो घबराय।

मन्‍दर ने परो धोय के,

फिर पूजा कर जाय॥8॥

 

पूजा करता पांच दिन,

कण्‍णप ने हो जाय।

मांस परूसे महादेव ने,

खुद भूखा रह जाय॥9॥

 

बामण की सुण विणती,

सपना में शिव केय।

भोलो भगत मारो भायलो,

मारे शरणे रेय॥10॥

 

जूता से फूल हटावता,

कोमल पुत्र समान।

कुल्‍लो फेंके ऊपरे,

स्‍नान गंगा को जाण॥11॥

 

फूल चढ़ाता जाणजे,

देव रिया बरसाय।

भोजन की मनवार ज्‍यू,

ऋषि वेद पढ़ गाय॥12॥

 

भगती देखे भगत की,

मन्‍दर में जा चाल।

मूरत पाछे खड़ा रह,

देख लेणा सब हाल॥13॥

 

छठा दिन की बात है,

कण्‍णप दोड्यो आय।

खून मूरत की आंख में,

देख बहुत घबराय॥14॥

 

पूछिया से रूकता नहीं,

दोड्या बूटी लाय।

बूटी से कुछ हुआ नहीं,

मन में कला उपाय॥15॥

 

मांस भरे कहवे मांस से,

बूटी दीनी नाख।

तेज बाण की नौक से,

खुद की काडी आंख॥16॥


आंख पे रखकर आंख को,

धीरे से दीनी दबाय।

खून रूके तत्‍काल ही,

नाचे ताल बजाय॥17॥

 

अब दूजी आंख से खून की,

धारा बहती जाय।

इलाज मेरे पास में,

अब क्‍यू देर लगाय॥18॥

 

डांवो पग डांवी आंख पे

दीनो भगत लगाय।

डांवी आंख ने काडबा,

तीर पे हाथ बढ़ाय॥19॥

 

हाथ पकड़ हरि रोकिया,

भक्‍त रहो मेरे पास।

भैरूलाल की विणती,

पूरो मन की आस॥20॥

गणराज थाने सबसे पेली धाऊ मारा देव Ganraj thane sabse peli dhau mara dev bhajan lyrics

 


गणराज थाने सबसे पेली,

धाऊ मारा देव।

गणराज जी ओ गणराज॥टेर॥

 

माता कहिजे पारवती,

पिता कहे महादेव, पिता है शंकर देव।

राजा परजा बादशाह,

सभी करे थारी सेव॥1॥

 

रणत भंवर को बैठणो,

आवे देव तमाम।

सारा पेली जो जपे,

उनका सुधरे काम॥2॥


दून्‍द्याला ने दु:ख ने हरो,

दीखो बाली बेस।

सारा पेली सिंवरता,

काटो सब ही कलेश॥3॥

 

शुरू करो कोई काम को,

ले गणपत को नाम।

रिद्धि सिद्धि वहां आवसी,

दन दन दूणो दाम॥4॥

 

भैरू लाल की बिणती,

सुणज्‍यो गणपत राय।

सब पर किरपा राखजो,

राखो सब ने हरसाय॥5॥

गरूदेव थाकी वाणी मीठी लागे मारा राज gurudev thaki boli mithi lage mara raj bhajan lyrics

 

गरूदेव थाकी वाणी मीठी लागे मारा राज,

गरूदेव जी ओ गरूदेव॥टेर॥

 

नाम सुणायो राम को,

माथे धरियो हाथ।

बह जातो मझधार में,

ले चाल्‍या गरू साथ॥1॥

 

शंका राखे आपसे,

ज्‍याका फूटा भाग।

ओसर आयो हाथ में,

जाग सके तो जाग॥2॥

 

सतगरू से या विणती,

सुणजो दीन दयाल।

चरणां माही राखजो,

जाण आपको लाल॥3॥

 

कृपा हुई गरूदेव की,

सतसंग बहुत सुहाय।

नुगरा नर आवे नहीं,

गाफिल गोता खाय॥4॥

 

गुरू गोविन्‍द दोऊ एक है,

न्‍यारा मत बतलाय।

भैरूलाल की विणती,

गुरू से ही गोविन्‍द पाय॥5॥

सतगरूजी मारे द्वारे आया जी रामजी satguru mare dware aaya ji Ramji bhajan lyrics

 

सतगरूजी द्वारे आया जी ओ भाइड़ा॥टेर॥

सतगरूजी मारे आया जी ओ रामजी ॥टेर॥

 

फूला रा हार थे तो लावो,

फूला मालण ये।

ओरी सेवरो लेता आज्‍यो जी,

आज्‍यो माली जी॥1॥

 

रोना रा बाजोट्या थे तो लाज्‍यो,

मारे खाती जी।

ज्‍यांरे फूलडिया रतन जड़ाज्‍यो जी,

जड़ाज्‍यो रामजी॥2॥

 

कंकू केशर का पगल्‍या माण्‍डो,

मारी सैया ये।

थे तो पंखा पाव ढुलवावो जी,

ढुलवावो राम जी॥3॥

 

षटरस भोजन थे तो बणाओ,

मारी सैया ये।

थे तो गरूजी ने नूत जीमाओ जी,

जीमाओ रामजी॥4॥

 

रामजी रो नाम सुणायो,

मारा सतगरूजी।

थे तो भवसागर तर जावो जी,

तर जावो रामजी॥5॥

 

भैरूलाल गरू जी,

थाका जश गावे।

चरणां में शीश नवावे ओ,

नवावे रामजी॥6॥

जो कोई जावे गरू की शरण में हो जावे भव जल पार jo koi jave guru sharan me ho jave bhav jal paar bhajan lyrics

 जो कोई जावे गरू की शरण में,

हो जावे भव जल पार।

गरूजी की महिमा अपरम्‍पार ॥टेर॥

 

रामजी गये थे गरू की शरण में,

विश्‍वामित्र के द्वार।

गरूकृपा से रामचंद्र जी,

रावण दीनो मार॥1॥

 

श्रीकृष्‍ण गये थे गरू की शरण में,

शांन्‍दीपान के द्वार।

गुरूकृपा से कृष्‍णचंद्रजी,

खेलत खेल अपार॥2॥

 

मीरा गई भी गई शरण में,

रोहिदास के द्वार।

जहर का प्‍याला राणे भेजिया,

पी गई भोग लगार॥3॥

 

रूपा गई थी गरू शरण में,

उगमसी के द्वार।

काड खड़ग भड़ माल कोपियो,

थाली में बाग तैयार॥4॥

फकीरी ओम नाम आधार हो जावे भव जल पार fakiri om naam aadhar likhma ji mali bhajan lyrics

 

लखमाजी की महिमा ने,

जाणे नर और नार।

अमरापुर में जनम लियो जी,

जिला कहिये नागौर॥1॥

 

फकीरी ओम नाम आधार,

साधू सन्‍त की महिमा सुणलो,

हो जावे भव जल पार॥टेर॥

 

बागवान परिवार में,

गोत सोलंकी धार,

पिता कहिये रामूदासजी,

गुरू खीवण दातार॥2॥

 

संवत 1807 की,

गुरू पूनम शुभ वार।

लखमीरामजी नाम धरायो,

आप लियो अवतार॥3॥

 

रामदेव महाराज की,

भक्ति को आधार।

मुसलमानों के मन नहीं भावे,

पूजा छूड़ावे आर॥4॥

 

डेह गांव में जावता,

गुरू चरणा चित धार।

जंगल माही देख अकेलो,

लेवो माली ने मार॥5॥

 

लारे-लारे दौड़ता,

रिया दूर का दूर।

घोड़ो पर चढ़ आविया जी,

पकडियो न जावे सूर॥6॥

 

हार मान कर बोलिया,

कहवो जीमे तैयार।

गांव बासणी मांयने जी,

बणा लियो घरबार॥7॥

 

जुंजाला सतसंग में जाता,

गाड़ी रूकी मझधार।

खेजड़ी की पूठी बणाई रामदे,

गाड़ी कीदी तैयार॥8॥

 

सूखा बाग ने हरियो कीदो,

जैसलमेर पधार।

बेटा जिवाया रींकजी का,

हाेवे जय जयकार॥9॥

 

जुंजाला मन्‍दर की,

हो रही मारम्‍मार।

बिना कूंच्‍या के तालो खोल्‍यो,

सहाय करी करतार॥10॥

 

पाणत करता छोड़ के,

चाल्‍या सतसंग द्वार।

किरपा कीदी रामदेवजी,

पाणी को नहीं पार॥12॥

 

संवत 1887 की,

आसोज बुदी छठ वार।

80 वर्ष की उम्र में,

जिवत समाधि धार॥13॥

 

महिमा लखमीराम की,

गावे नर और नार।

भैरू लाल यू कहे,

हो जावे बेड़ा पार॥14॥

जीवत ही मर्या समान जग में चवदा जणा jivat hi mariya saman jag me 14 jana bhajan lyrics

 

जीवत ही मर्या समान,

जग में चवदा जणा॥टेर॥

 

पहला कहिये वाम मार्गी,

दूजा कामी जाण॥1॥

 

तीजा कहिये कंजूस मूंजी,

चौथा अत्‍यन्‍त मूढ़॥2॥

 

पांचवा कहिये महा दरिदरी,

छटा होवे बदनाम॥3॥

 

सातवा कहिये बहुत ही बूढ़ा,

आठवा रोगी जाण॥4॥

 

नवमा कहिये नत का क्रोधी,

दसवा विमुख भगवान॥5॥

 

ग्‍यारवा कहिये सन्‍त विरोधी,

बाहरवा खुद ही खाय॥6॥

 

तेहरवा करे है निन्‍दया पराई,

चवदवा पापी जाण॥7॥

 

भैरूलाल की सुणज्‍यो विणती,

रामायण की शाखा जाण॥8॥

औरत के हरदा मांय ओगण आठ बसे aurat ke harda me ogan 8 base bhajan lyrics

 

औरत के हरदा मांय,

ओगण आठ बसे॥टेर॥

 

पहला ओगण साहस कहिये,

दूजा झूठ ने जाण॥1॥

 

तीजा ओगण चंचलता है,

चौथा छल माया जाण॥2॥

 

पांचवा ओगण भय बतलावे,

छठी मूरखता जाण॥3॥

 

सातवा ओगण अपवित्रता,

आठवा निर्दय जाण॥4॥

 

भैरूलाल कहे हाथ जोड़ के,

रामायण की शाखा जाण॥5॥

मर जावोला कालीधार नौ से बेर लिया mar javola kalidhar 9 se ber liya bhajan lyrics

 

मर जावोला कालीधार,

नौ से बेर लिया॥टेर॥

 

पहला कहिये शस्‍त्रधारी,

कोई दूजा भेदी जाण॥1॥

 

तीजा कहिये समरथ स्‍वामी,

कोई चौथा मूरख ने जाण॥2॥

 

पांचवा कहिये पैसा वाला,

कोई छटा वेध ने जाण॥3॥

 

सातवा कहिये राव भाट ने,

कोई आठवा कवि ने जाण॥4॥

 

नोवा कहिये रसोड़दार ने,

कोई कहवे भैरूलाल॥5॥

चार-चार को सार समज्‍या खबर पड़े char char ko saar samjya khabar pade bhajan lyrics

 

चार-चार को सार समज्‍या खबर पड़े ॥टेर॥

 

अन्‍त:करण भायां चार बताया।

मन बुद्धि चित्‍त अहंकार॥1॥

 

गाय वृक्ष चिन्‍तामणि पारस।

चार पदारथ होय॥2॥

 

भगती का फल चार बताया।

धर्म अर्थ मोक्ष काम॥3॥

 

हाथी घोड़ा रथ और पैदल।

चार तरह की फौज॥4॥

 

साम यजु ऋग अथर्व वेद है।

ये वेद बताया चार॥5॥

 

ब्रह्मचर्य गृहस्‍थ वान सन्‍यासी।

ये आश्रम कहिये चार॥6॥

 

ब्राह्मण क्षत्रिय वेश्‍य शुद्र।

चार वरण जग माय॥7॥

 

नीति बताई चार तरह की।

साम दाम दण्‍ड भेद॥8॥

 

सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग।

जुगा की गणती चार॥9॥

 

मिट्टी अगनी जल और पावन।

ये दाग बताया चार॥10॥

 

बाल त्रिया राज योगहट।

हट पकड्या नहीं छोड़॥11॥

 

जाग्रत सपन सुसोपत तुरिय।

अवस्‍था बताई चार॥12॥

 

सालोक सामिप्‍य सारूप्‍य सायुज।

मुक्ति कहिये चार॥13॥

 

परा पछन्‍ती मदा बेखरी।

वाणी का रूप है चार॥14॥

 

और ज्ञान को पार नहीं।

कहवे भैरूलाल॥15॥

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...