अरजी थाने अरज दाखू,
आलम अरजी सुणो खरी।
आप करता मारे आसान बाबजी,
आप बना मारे कूण धणी।।1।।
पंडत पुकारू अरज गुजारू,
सायर सुणो न मारा रामा धणी।।टेर।।
धजबन्ध धणी मारे ओर न दूजो,
चूड़ो चूंदड़ मारो राज तणी।
सर शोभा सदाई शिर ऊपरे,
पृथी पताऊ मारे प्रीत गणी।।2।।
पाखण्ड मतो जाग्यो अणी जुग में,
सेवा पाले मारी श्याम धणी।
आपने मतहीणा कहवे अन्दाता,
माने रीस आवे गणी।।3।।
काटे परां पंछी के मेरे दाता,
गरदन भाड रिया गऊ तणी।
उजाड़ बगाड़ मैं कीदो न बाबजी,
दुष्ट हरामी माऊ कीदी गणी।।4।।
अतरी अरजी अरज थाने दाखू,
जाग जाग मारा जूना धणी।
सुखभर नींद कई सूतो सायबा,
यूं कई काना में बहर भरी।।5।।
ओरां के तो सगो सनेशो,
गोत गलूमी जांके जात गणी।
मारे तो अलख आसरो थारो,
बावजी बसीवान की भार हूणी।।6।।
पुुत्र पक्षण पाप निवेड़ण,
रामदे कंवर सांचा धणी।
बदला व्हे तो आगे भरज्यो,
अबके तो ताला तोड़ धणी।।7।।
पीरनन्द गरू माने पूरा मलिया,
बाना की मुरजाद गणी।
रामलाल पंडत जस भाखे,
जडिया तोख उखाड़ धणी।।8।।