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संता बिना नीवण कुण तिरिया santa bina nivan kun tiriya bhajan


 संता बिना नीवण कुण तिरिया,
आदु अन्त नीवण पद मोटा, साध संत री किरिया ।।टेर।।


मूल कंवल में चेतन चौकी, 

गणपत आसण धरिया ।

आसण मांड़ इडक होय बैठा, 

अजपा सिवरण करिया ।।1।। 


निवण निवण म्हारा मात पिता ने, 

उत्पन पालन करिया ।

निवण निवण इण धरती मां ने, 

जिण रे उपर फिरिया ।।2।।


निवण निवण म्हारा गुरू सायब ने, 

हृदय उजाला करिया ।

निवण निवण इण सत संगत ने, 

जिण में बैठ सुधरिया ।।3।।


निवण निवण म्हारा अन्न देव ने, 

ज्यासु उदर भरिया ।

निवण निवण इण चांद सूरज ने, 

सकल उजाला करिया ।।4।।


निवण निवण इण ज्योति स्वरूप ने, 

होय इन्द्र ओलरिया ।

अमरत बून्दा बरसण लागी, 

जाय निवण जटे भरिया ।।5।।


बिनापाल भवसागर भरिया]

गुरू चरण  उबरिया ।

 दोय कर जोड़ माली लिखमी बोले, 

अमरत प्याले धरिया ।।6।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...